बिहार । ( रिपोर्ट– मुनाजिर) हजारों की भीड़, हजारों हाथों में फक्र के साथ लहराता हुआ देश की आन बान और शान हमारा तिरंगा, गुस्ताख ए रसूल के खिलाफ हजारों के बाजुओं में बंधी काली पट्टियां और हजारों की तादाद में गुस्ताख रसूल पर सख्त से सख्त कारवाई से संबंधित लिखे स्लोगन की तख्तियाँ लिए मौन जुलूस में शामिल हजारों मुसलमान, और सात से आठ किलो मीटर का पैदल सफर।
बल्कि यह जन सैलाब अपने सबसे प्यारे नबी और इस्लाम के सबसे आखिरी पैगंबर ‘हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम’ की शान में, उनकी इज्जत और उनकी अजमत में आशिक ए रसूल का जन सैलाब है, अपने नबी की शान में दुनियाँ की तमाम तर दौलत और शोहरत को खुशी खुशी कुर्बान करने का जज्बा रखने वाले उम्मत ए मुहम्मदी का जन सैलाब है और नबी के प्रति अपनी बेपनाह मुहब्बत का एक मिसाली और एतेहासिक इश्क ए रसूल का प्रमाण है.
और इस जन सैलाब का आह्वान करने वाला और इसकी कियादत यानि नेतृत्व करने वाला कोई सियासतदाँ नहीं, समाज में इज्जत पाने के लिए खुदकों समाजसेवी का चोला पहन कर घूमने वाला कोई ठोंगी नहीं है बल्कि इस जन सैलाब को कॉल देने वाला और इस जन सैलाब की कियादत करने वाली शख्सियत का नाम कारी मोहम्मद रुस्तम अली रहमानी है जिसके कॉल और कुशल नेतृत्व में मुसलमानों ने यानि आशिक ए रसूल ने जन सैलाब का शक्ल इख्तियार कर एक इतिहास लिख डाला
मुसलमानों का जो जन सैलाब आप अपनी नजरों से अपने स्क्रीन पर देख रहे हैं यह जन सैलाब भाड़े पर बुलाया गया जन सैलाब नहीं, किसी सियासी नेता के कॉल पर आया जन सैलाब नहीं है, किसी सियासी पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए आया हुआ जन सैलाब नहीं है ,
बताया दें कि शनिवार को जिला मुख्यालय की सड़के कुछ घंटों के लिए उस समय जाम हो गई जब जिला के तमाम प्रखंडों के साथ साथ आस पास के जिला से मुसलमानों का हुजूम जिला मुख्यालय पहुँचने लगा, तिरंगा झंडे के साथ हाथों में काली पट्टी बांध कर बिल्कुल खमुशी के साथ लाखों आशिके रसूल ने गुस्ताख रसूल के खिलाफ मौन जुलूस निकाल कर अविलंब कारवाई की मांग की ।
इन सबके बावजूद पूरे सफर में किसी भी राहगीरों, वाहन चालकों, दुकानदारों को मामूली सी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा और साथ ही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के सामने भी किसी भी तरह से लॉ एंड ऑडर से संबंधित कहीं भी कोई मसला पेश नहीं आना अपने आप में यह एक बहुत ही बड़ी बात है और सबक हासिल करने वाली बात है ,
अभी आपके स्क्रीन पर मुसलामनो का जो जन सैलाब दिखाई दे रहा है यह एतेहासिक तस्वीर बिहार मधेपुरा जिला की है।
दरअसल 19 अक्टूबर को कोसी क्षेत्र के प्रसिद्ध आलिम ए दिन कारी मोहम्मद रुस्तम अली रहमानी की कुशल नेतृत्व और मौलाना शब्बीर अहमद रहमानी, मौलाना मुर्तुजा कासमी, प्रमुख इश्तियाक आलम, मुखिया परवेज आलम, अबू जहर खान, की रहनुमाई में मधेपुरा के हजारों मुसलमानों ने नबी की शान में बेहद ही तरतीब के साथ मधेपुरा की तारीख में एक विशाल और एतेहासिक पैदल मौनजुलूस निकाल कर ना सिर्फ खुदको आशिक ए रसूल होने का शानदार मिसाल पेश किया बल्कि बड़े ही फक्र के साथ देशभक्ति का भी शानदार नमूना पेश किया और इस पूरे कार्यक्रम को कामयाब बनाने में झिटकिया के शाहनवाज आलम उर्फ जोहान सलार, मौलाना अली कासमी, मोहम्मद सबुल आलम, मोहम्मद जियाउल्लाह, मोहम्मद मोनजीर आलम, मोहम्मद इफ्तेखार, जवाहर आलम सहित कई नौजवानों ने अपना अहम योगदान अदा किया।
जिला के मुसलामनो ने गुस्ताख ए रसूल मरदूद यति नरसिंहनन्द की अविलंब गिरफ़्तारी और इसके खिलाफ NSA और UAPA कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर सख्त से सख्त सजा दिलाने की मांग को लेकर सात से आठ किलो मीटर का पैदल मौन जुलूस निकाला था और यह जुलूस जिला के सिंहेश्वर प्रखण्ड के झिटकिया से बिल्कुल खामुश तरीके से जिला मुख्यालय स्थित कला भवन परिसर में पहुंचा जहां आयोजन कमिटी के प्रतिनिधिमण्डल द्वारा जिला पदाधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा गया जिसके बाद कतार बद्ध होकर सभी अपने अपने घरों के लिए रवाना हो गए।
मुसलमानों का यह जुलूस एक एतेहासिक जुलूस था क्यूंकी आज से पहले मधेपुरा की सड़कों पर इतनी बड़ी तादाद में मुसलमानों का मजमा नहीं देखा गया, हजारों की तादाद में मौन जुलूस निकाल कर मुसलमानों ने जहां एक तरफ गुस्ताख रसूल की अविलंब गिरफ़्तारी की मांग की तो वहीं दूसरी तरफ लाखों की तादाद में रहने के बावजूद ना तो विधि व्यवस्था में कोई खलल पड़ने दिया और ना ही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को किसी भी तरह के परेशानी का सामना करना पड़ा, बल्कि बिल्कुल खामुशी के साथ जिला के तमाम इलाके से आए आशिके रसूल का जत्था तयशुदा समय पर जिला मुख्यालय पहुंचा और अपनी एकता का शानदार परिचय देते हुए फिर खामुशी के साथ अपने अपने घर को रवाना हो गए। सबसे बड़ी और अच्छी और अनुकरणीय बात यह रही कि इतनी बड़ी संख्या में जिसमें सबसे ज्यादा नौजवान तबका की संख्या थी ऊपर से जिस नबी की शान में मुसलमान अपना सबकुछ खुशी खुशी कुर्बान कर सकता है उस नबी की शान में मरदूद यति नर सिंहानंद जैसे असामाजिक तत्व जो अपनी गंदी जुबान से नबी की शान में गुस्ताखी भरा शब्दों का इस्तेमाल किया जिससे देश ही नहीं बल्कि दुनियाँ के तमाम मुसलामनों का चाहे वो किसी भी फिरके या मसलक का हो सभी के धार्मिक भावनाओं को मरदूद नर सिंहानंद जैसे असामाजिक तत्व ने अपने अल्फ़ाज़ से बहुत बड़ा ठेस पहुंचाने का काम किया जो किसी भी कीमत पर ना काबिल ए बर्दाश्त है और इस कृत्य से मुसलमानों के दिल गुस्से से भरा हुआ है बावजूद इसके मुसलमानों की इतनी बड़ी भीड़ ने ना तो किसी राहगीर को कोई तकलीफ पहुंचाने का कम किया, ना किसी के धार्मिक स्थलों के सामने खड़े होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया, ना तो किसी भी तरह के धार्मिक नारे लगाकर किसी दूसरे समुदाय के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाया, ना तो किसी दूसरे समुदाय के छत पर चढ़ कर अपना धार्मिक परचम लहराया बल्कि सभी धर्मों का सम्मान करते हुए देश की शांति व्यवस्था में खलल पैदा करने जैसी नापाक सोच रखने वाले, गंगा जामुनी तहजीब का खुल्ला दुश्मन मरदूद यति नरसिंहानंद जैसे लोगों के खिलाफ अविलंब कारवाई करने की मांग संवैधानिक तरीके से देश की सरकार से करने का काम किया। इससे उन तमाम लोगों को सबक लेने की जरूरत है जो धार्मिक जुलूस की आड़ में शांति व्यवस्था में खलल डालने से बाज नहीं आ रहे हैं जिसका परिणाम मासूमों और बेगुनाहों को भुगतना पड़ता है और कई जिंदगियाँ तबाह वो बर्बाद हो जाती है, उन तमाम समाज दुश्मन को यह समझने की जरूरत है कि धर्म कोई मामूली चीज नहीं है जो किसी के कुछ करने से खतरे में पड़ जाएगा और दुनियाँ के सबसे बड़े ताकतवर शख्सियत की भी यह औकात नहीं है कि वो किसी धर्म को मिटा सके और उसकी हिफाजत कर सके बल्कि धर्म आपने आप में सर्व शक्तिमान है उसको अपनी अहमियत और अपनी मौजूदगी जाहीर करने के लिए किसी भी इंसान या नेता की संरक्षण की जरूरत है, इंसान चाहे कितना ही बड़ा ताकतवर और पावरफुल नेता क्यूँ ना हो उसको अपनी फिक्र करने की जरूरत है नाकी धर्म की लेकिन अफसोस की बात है कि कुछ लोगों को लगता है कि फलां नेता है तो हमारा धर्म सुरक्षित है तो यकीन मानिए वह अपनी इस सोच से अपने धर्म की शान में गुस्ताखी कर अपने धर्म को कमजोर साबित कर नेता के कद को धर्म से बड़ा साबित कर अपनी छोटी सोच का परिचय दे रहा है, ऐसी छोटी सोच रखने वाले लोग इस गफलत से जितना जल्दी बाहर आ सकता है तो वो आ जाएँ, किसी की अंधभक्ति में अपने धर्म का रखवाला किसी नेता को ना बनाए, बल्कि अपनी सच्ची भक्ति से अपने धर्म के प्रति सच्ची आस्था और अपने बेहतर व्यवहार से अपने धर्म का नाम रौशन करे नाकि किसी धर्म के खिलाफ गलत बयान बाजी करने वाले लोग को अपना आइडियल और धर्म गुरु मानकर अपने धर्म की शान में गुस्ताखी करते रहे और लोग आपकी नासमझी का फायदा उठाकर अपनी सियासत रोटी सेकते रहे, इतना याद रखिए, किसी भी कीमत पर किसी भी धर्म से ताअल्लुक रखने वाला सच्चा धर्म गुरु वही हो सकता है जो दूसरे धर्म या उनके अवतार की शान में एक भी गलत शब्द का इस्तेमाल नहीं करता, क्यूंकी सभी धर्म ग्रंथों में इस बात की सख्त मनाही है और अगर कोई धर्म का चोला पहन कर किसी दूसरे धर्म पर गलत टिपण्णी करता है तो वो सौ प्रतिशत ढोंगी और समाज और देश का दुश्मन है, ऐसे ढोंगी और देश के दुश्मनों के खिलाफ एक जुट होकर आवाज बुलंद कीजिए ताकि कोई दूसरा पाखंडी किसी भी धर्म के खिलाफ में बोलने की हिम्मत ख्वाब में भी करने से डरे और शांति और अमन का गहवारा हमारा प्यारा देश तरक्की की ऊंचाई को हमेशा और लगातार छूते चले
अगर आप भी हमारी बातों से सहमत हैं हो अपनी प्रतिक्रिया कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखें और ताकि देश को तोड़ने वाली सोच रखने वाले देश के दुश्मनों को यह मामूल चल सके कि अब धर्म की आड़ में सियासी रोटी सेकने का समय नहीं रहा बल्कि देश का विकास करके देश में शांति व्यवस्था को बहाल करके और सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास जीत कर ही हम सत्ता में काबिज रह सकते हैं वरना वो दिन दूर नहीं जब देश की जनता आशान्ति, हिंसा और नफरती बयानबाजी से तंग आकर आपको कुर्सी से खींच कर आपको सत्ता से बेदखल करके आपको कटघड़े में लाकर खड़ा कर देगी।
