आजमगढ़ : उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में वाराणसी-आजमगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित अमौड़ा मोहिउद्दीनपुर टोल प्लाजा के टेंडर में बड़े पैमाने पर स्टांप शुल्क चोरी का मामला सामने आया है। सहायक महानिरीक्षक (एआईजी) निबंधन की जांच में 1 करोड़ 62 लाख रुपये से अधिक की स्टांप चोरी उजागर होने के बाद टोल प्लाजा का संचालन करने वाली फर्म के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। आरोपी फर्म पर अब स्टांप की बकाया धनराशि के साथ-साथ ब्याज और भारी जुर्माना लगने की संभावना है।
यह मामला तब प्रकाश में आया जब निबंधन विभाग को टोल प्लाजा के टेंडर अनुबंध में स्टांप शुल्क की बड़ी चोरी का अंदेशा हुआ। जांच में पाया गया कि लगभग 40 करोड़ रुपये के टेंडर के सापेक्ष नियमानुसार 1 करोड़ 62 लाख 20 हजार 760 रुपये का स्टांप शुल्क अदा किया जाना था। लेकिन, फर्म ने मात्र 100 रुपये के स्टांप पेपर पर ही अनुबंध की लिखा-पढ़ी कर सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लगा दिया।
फर्म और संचालक की पहचान
विभागीय सूत्रों और उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अमौड़ा मोहिउद्दीनपुर टोल प्लाजा के संचालन का ठेका टी. सूर्यनारायण रेड्डी नामक कंसेशनेयर/ओएमटी कॉन्ट्रैक्टर के नाम पर है। एफआईआर इसी फर्म के खिलाफ दर्ज की गई है। बताया जा रहा है कि यह एक एकल स्वामित्व वाली फर्म हो सकती है।
कैसे हुई कार्रवाई?
एआईजी निबंधन, राजेश कुमार ने शिकायत मिलने के बाद इस मामले की गहन जांच कराई। जांच में स्टांप चोरी की पुष्टि होने पर उन्होंने संबंधित फर्म के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। यह मुकदमा अब जिलाधिकारी के स्तर पर सुना जाएगा, जहां स्टांप की बकाया राशि, ब्याज और जुर्माने की वसूली के लिए आगे की कार्रवाई की जाएगी।
कितना लगेगा ब्याज और जुर्माना?
भारतीय स्टांप अधिनियम और उत्तर प्रदेश में लागू संबंधित नियमों के अनुसार, स्टांप शुल्क की चोरी के मामलों में बकाया राशि पर ब्याज के साथ-साथ भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जुर्माने की राशि बकाया स्टांप शुल्क की राशि का कई गुना तक हो सकती है। कुछ गंभीर मामलों में आपराधिक कार्रवाई और कारावास का भी प्रावधान है। इस मामले में, वसूली की जाने वाली कुल राशि में 1.62 करोड़ रुपये का मूल स्टांप शुल्क, उस पर लगने वाला ब्याज और जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित किया जाने वाला जुर्माना शामिल होगा। जिलाधिकारी को कमी वाले स्टांप शुल्क का 10 गुना तक जुर्माना लगाने का अधिकार है, जिससे आरोपी फर्म की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
