राजस्थान में दो भाईयों के झगड़े से उजड़ा पूरा गाँव, हाई कोर्ट के आदेश पर चारागाह भूमि पर अवैध कब्जे से बने टूट रहे 400 घर

उजड़ रहा आशियाना, मची चीख पुकार……….

फूलपुर एक्सप्रेस 

राजस्थान। दो भाइयों का जमीनी विवाद झगड़ा पूरे गांव के लिए मुसीबत बनकर बुलडोज़र के रूप में टूट पड़ी है, मामला राजस्थान राज्य के जालोर जिला के आहोर उपखंड क्षेत्र का है, ओडवाड़ा गांव में दो भाइयों के झगड़े ने हाई कोर्ट के सामने इस जमीन को लेकर ऐसे राज खोले की कोर्ट ने गांव के करीब 400 घरों को तोड़ने के लिए उच्च न्यायालय जजमेंट ने आदेश जारी किए हैं, दरअसल ओडवाडा गांव में दो भाइयों के पारिवारिक झगड़े के मामले में हाइकोर्ट ने बड़ी संख्या में हुए निर्माण को तोड़ने के आदेश दिए गए हैं. एक मामले में उच्च न्यायालय ने यह आदेश दिए हैं, अभी कुछ लोगों का उक्त जमीन को लेकर कोर्ट के द्वारा स्ट भी पूर्व में दिया गया है, डेढ़ सौ से अधिक  मकान पर बुलडोजर गरज रहे हैं, जिससे पूरे गांव में चीख पुकार मची हुई है, वही कोर्ट के आदेश आदेश को राजनीतिक फायदे के लिए व्याख्यान में प्रस्तुत करके राजस्थान के विपक्षी पार्टियों द्वारा राज्य की भाजपा सरकार को अरे हाथों लिया जा रहा है, भाजपा सरकार को जिम्मेदार कराया जा रहा है, लोकसभा चुनाव के  बीच में इस तरह का कोर्ट का आदेश शासन सत्ता के लिए गला पास बन गया है, फिलहाल कोर्ट के आदेश का पालन अधिकारियों द्वारा कराया जा रहा है,

राजस्थान हाई कोर्ट ने जालोर जिले के बाड़मेर रोड स्थित ओडवाडा गांव में 35 एकड़ चारागाह भूमि पर बने 150 से अधिक पक्के मकान और करीब 160 कच्चे बाडे़ हटाने के आदेश दिए हैं. इस पर अमल करते हुए गुरुवार को जब जालोर प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ अतिक्रमण हटाने पहुंचा तो वहां ग्रामीण विरोध पर उतर आए. जबरदस्त हंगामे के बीच पुलिस की ग्रामीणों से झड़प भी हो गई, जिसमें कई महिलाएं बेहोश हो गईं. हालांकि पुलिसकर्मी नहीं रुके. उन्होंने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पूरी करने के लिए लाठीचार्ज किया और ग्रामीणों को वहां से खदेड़ दिया.घरों पर जेसीबी और बुल्डोजर चलता देख वहां महिलाएं बेसुध हो गईं. छोटी-छोटी बच्चियां बेघर होते ही चीखती चिल्लाने लगीं. लेकिन पुलिस की कार्रवाई नहीं रुकी. जो लोग लाठीचार्ज के बाद भी विरोध करते दिखे उन्हें पुलिस ने पकड़कर वैन में डाल दिया. इस दौरान की कई तस्वीरें और वीडियो भी सामने आई हैं, जो इस वक्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इस पूरे मामले को लेकर प्रदेशभर में राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘जालोर के ओडवाडा में उजड़ते आशियाने, बिलखते परिवार, महिलाओं से बर्बरता और पुलिस का क्रूर चेहरा. भाजपा के नये राजस्थान में आपका सराजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर 150 पक्के मकान तोड़ने पहुंचा प्रशासन, पुलिस से झड़प में बेहोश हुईं और लिखा ‘भाजपा के नए राजस्थान में आपका स्वागत है’

दरअसल, हाई कोर्ट ने 7 मई को चारागाह भूमि पर बने मकानों को हटाने के आदेश दिए थे. चश्मदीदों ने बताया कि चारागाह (ओरण) भूमि पर बने मकानों को हटाने के लिए आज सुबह 7 बजे जब प्रशासन और पुलिस अधिकारी वहां पहुंचे तो ग्रामीणों ने रास्ता ब्लॉक कर दिया. महिलाएं बुलडोजर और पुलिस की गाड़ियों के आगे बैठ गईं. इसके बाद जबदरस्त विरोध प्रदर्शन हुआ, और फिर मौके पर JCB के जरिए मकानों की बाउंड्री तोड़ी गई और कुछ घरों के बिजली कनेक्शन काट दिए गए. गांव में हालात बिगड़ता देख फिलहाल प्रशासन की ओर से कल तक की राहत दी है. अधिकारियों ने कहा है कि मौजूद लोगों को कल तक सामान हटाने की चेतावनी दी जा रही है. आने वाले 3 दिनों तक लगातार कार्रवाई जारी रहेगी. शुक्रवार को फिर से कार्रवाई होगी. 

जहां कोर्ट का स्टे, वहां कार्रवाई नहीं 

आहोर उपजिलाधिकारी शंकर लाल मीणा ने बताया कि कोर्ट के आदेशानुसार कार्रवाई की जा रही है. जहां कोर्ट का स्टे है, उन जगहों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अतिक्रमण हटाने के दौरान कई लोगों ने हाथ जोड़कर कहा कि कार्रवाई मत कीजिए, हम कहां जाएंगे. इस पर पुलिस ने समझाइश की. लेकिन जब वो नहीं माने तो पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा. मौके पर करीब डेढ़ हजार ग्रामीण हैं. ओडवाड़ा की पूर्व सरपंच प्रमिला राजपुरोहित ने बताया कि करीब 3 साल पहले गांव के निवासी मुकेश पुत्र मुल्ल सिंह राजपुरोहित और महेन्द्र सिंह पुत्र बाबू सिंह राजपुरोहित के बीच जमीन के बंटवारे को लेकर विवाद हो गया था. दोनों भाइयों का विवाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया. जमीन की नाप हुई तो करीब 440 मकान चारागाह भूमि में पाए गए. इसके बाद कोर्ट के आदेश से 2022 और 2023 में कुछ कच्चे अतिक्रमण हटा दिए थे. कोर्ट के आदेश पर 150 से अधिक कच्चे मकान और करीब 160 बाड़े हटाने को लेकर गांव में मकानों को चिह्नित कर निशान लगाए गए थे.

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