सी जी आई ने अजब गजब पीआईएल पर लगाई फटकार, याचिका कर्ता सांसदों और विधायकों पर डिजिटली तौर पर निगरानी करने को लगाया था पीआईएल

अजब याचिका की गजब कहानी……

Phoolpur express

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सांसदों और विधायकों पर डिजिटली तौर पर निगरानी करने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका (PIL) पर नाराजगी जताई साथ ही पांच लाख के जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि..हम किसी के अधिकार का हनन नहीं कर सकते, एमपी एम एल ए का भी निज़ी जीवन होता है।

साथ ही तल्ख लहजे में जवाब देते हुए पांच लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी। हालांकि, बाद में बिना जुर्माना लगाते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

सांसदों और विधायकों की डिजिटली निगरानी वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ भड़क गए और कहा कि हम लोगों पर चिप नहीं लगा सकते हैं। यह क्या याचिका है, हम डिजिटली निगरानी कैसे कर सकते हैं? प्राइवेसी नाम की भी कोई चीज होती है। हम आपसे जुर्माना भरने को कहेंगे। यह जनता का समय है, हमारा ईगो नहीं है। अगर याचिका खारिज होती है तो आपको पांच लाख रुपये भरने होंगे।

अदालती कार्यवाही, सुनवाइयों पर रिपोर्ट करने वाली वेबसाइट ‘लाइव लॉ’ के अनुसार, सीजेआई की जुर्माना लगाने की चेतावनी के बाद वकील ने कहा कि मैं आपको कन्विंस कर लूंग। ये वेतनभोगी प्रतिनिधि मिसबिहेव करना शुरू कर देते हैं। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने जवाब दिया कि यह हर सांसदों और विधायकों के मामले में ऐसा नहीं होता। हम अधिकार का हनन नहीं कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो लोग कहने लगेंगे कि हमें जजों की जरूरत नहीं है और हम खुद ही फैसला करेंगे। यदि कोई जेबकतरा पकड़ा जाता है तो हम उसे मार देंगे।

मामले की सुनवाई करते हुए आगे सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकील से कहा कि आप जो बहस कर रहे हैं, उसकी गंभीरता का अहसास है? सांसदों और विधायकों की भी निजी जिंदगी होती है। इस पर वकील ने जवाब दिया कि जो अपनी प्राइवेसी को लेकर इतने चिंतित हैं, उन्हें ऐसी नौकरियों के लिए अप्लाई नहीं करना चाहिए। संविधान में कुछ ऐसे अनुच्छेद हैं, जोकि बेसिक स्ट्रक्चर के खिलाफ हैं। इसके बाद सीजेआई ने कहा कि हमने याचिका को नोटिस पर रखा है। कोई जुर्माना नहीं लगा रहे, लेकिन हम इसे खारिज करते हैं। इस तरह सांसदों और विधायकों को डिजिटली तौर पर मॉनिटर किए जाने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। जब की इस जनहित याचिका को लेकर देश में लोकसभा चुनाव के माहौल के बीच लोगों बहस भी सुरु हो गई।

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