पाकिस्तान के लाहौर में शादमान चौक का नाम ‘भगत सिंह’ के नाम पर रखने के अदालत के आदेश पर पंजाब सरकार द्वारा अमल न किए जाने से खफ़ा कोर्ट ने पंजाब प्रान्त सरकार को लगाई फटकार!

Share

कट्टरवादिता के चलते स्वतंत्रता सेनानियों का नहीं कर पा रहा पाकिस्तान सम्मान….

फूलपुर एक्सप्रेस 

इस्लामाबाद। (एजेंसी )अविभाजित भारत के स्वतंत्रता संग्राम के शहीदे आजम कहे जाने वाले सरदार भगत सिंह के नाम पर पाकिस्तान के एक चौक का नाम रखने को लेकर हीला हवाली करने पर पाकिस्तान की एक कोर्ट ने वहां की पंजाब प्रान्त की सरकार को जमकर फटकार लगाई है। ये मामला स्वतंत्रता संग्राम के नायक शहीद भगत सिंह से जुड़ा हुआ है। लाहौर के एक चौराहे का नाम स्वतंत्रता संग्राम के नायक शहीद-ए- आजम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने के संबंध में अदालती आदेश का अनुपालन अभी तक नहीं किया गया। इसी बात पर नाराज होते हुए कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी कर जवाब देने के लिये अंतिम मौका दिया है।

लाहौर में शादमान चौक का नाम ‘भगत सिंह’ के नाम पर रखने के अदालत के आदेश पर पंजाब सरकार ने अमल न किए जाने पर उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई कर रही थी। लाहौर हाई कोर्ट के न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा ने पाकिस्तान की सामाजिक संगठन भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार को इस मामले पर जवाब देने का अंतिम मौका दिया है। पंजाब सरकार के वकील साद बिन गाजी अदालत में पेश हुए और जवाब देने के लिए और समय मांगा। जज ने अपने आदेश में कहा कि पंजाब प्रान्त के वकील के अनुरोध पर पंजाब सरकार को इस मामले पर जवाब देने का आखिरी मौका दिया जाता है। याचिकाकर्ता के वकील खालिद जमान खान काकर ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में पहले ही काफी देरी हो चुकी है। इस पर तुरंत फैसला किया जाना चाहिए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 8 नवंबर तय की है। फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज रशीद कुरैशी ने शादमान चौक का नाम ‘शहीद भगत सिंह’ के नाम पर रखने में सरकार के विफलं रहने पर अवमानना याचिका दायर की थी। कुरैशी ने कहा कि लाहौर हाई कोर्ट ने 2018 में सरकार को शादमान चौक का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने का आदेश दिया था, जहां उन्हें 1931 में फांसी दी गई थी। उन्होंने कहा, लेकिन प्रांतीय सरकार और जिला प्रशासन दोनों ने जानबूझकर लाहौर हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया, इस प्रकार अवमानना हुई। ‘भगत सिंह’ ने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी और उस समय देश अविभाजित था। भारतीय उपमहाद्वीप में स्वतंत्रता सेनानी शहीदे आजम सरदार भगत सिंह का न केवल सिखों और हिंदुओं द्वारा बल्कि मुसलमानों द्वारा भी सम्मान किया जाता है।

वहीं कट्टरवाद के दबाव में सांस ले रही पाकिस्तान की व्यवस्था कुछ कठमुल्लों के विचारधारा के मानसिक दबाव में है, लाहौर के शादमान चौक को भगत सिंह चौक के नाम पर रखने के मुद्दे पर कुछ लोगों व धार्मिक संस्थाओं ने पाकिस्तान की विचारधारा पर हमला बताया है, कट्टर धार्मिक संगठन पाकिस्तान के रसूल तहरीक और अबल ट्रेडर्स ने बाकायदा इसके लिए एक बोर्ड बैनर भी चौक के पास लगवाया था. जिसमें विरोध दर्ज़ करा दिया है।

भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन पाकिस्तान के अध्यक्ष वकील इम्तियाज रशीद कुरेशी ने जानकारी दी कि चौक का नाम बदलने के मामले में उन को जान से मारने की धमकी तक मिल चुकी है. उन्होनें बताया कि उन के घर तक लोगों को भेजा गया था ,

सरदार भगत सिंह की विरासत भारतीय उपमहाद्वीप में स्वतंत्रता के संघर्ष में अमिट रूप से जुड़ी हुई है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से मुक्ति के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने उन्हें फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया, जहाँ उन्हें 23 मार्च, 1931 को साथी स्वतंत्रता सेनानियों राज गुरु और सुख देव के साथ इसी लाहौर के शादमान चौक पर फांसी दी गई। ब्रिटेन की शाही शासन के उत्पीड़न को चुनौती देने में सरदार भगत सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका ने उन्हें इतिहास के पन्नों में वो जगह दिलाई, जिन्हें भारत सहित पाकिस्तान में शहीद ए आज़म के नाम से भी जाना जाता है, फिर भी उनकी स्मृति राजनीतिक पार्टियों, प्रशासन, जिहादी मानसिकता के लोगों और ऐतिहासिक संरक्षणवादियों के बीच विवाद का स्रोत बनी हुई है।

रिपोर्ट….न्यूज़ एज़ेंसी

Leave a Comment

सबसे ज्यादा पड़ गई
error: Content is protected !!