कैफ़ी के विरासत पर छाऐं काले बादल, मेज़वा गाँव में बिकी कैफ़ी की पैतृक क़ृषि भूमि तो लोगों में चर्चा हुई आम!

बेटे ने बेची कृषि योग्य भूमि, तो ग्राम वासियों को गुज़रा ना गवार………

फूलपुर एक्सप्रेस 

फूलपुर, आजमगढ़। इंकलाबी, फ़िल्मी शायर के नाम से मशहूर कैफ़ी आज़मी की पैतृक गाँव में अब उनके ही पहचान की संकट आन पड़ी है, और ऐसा किसी अन्य कारण से नहीं खुद ही उनके परिवार द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर कहा जा रहा है, कैफ़ी आज़मी का पैतृक गांव मेजवा कैफ़ी आज़मी की बेटी पूर्व सांसद सिनेतारिका व समाजसेवी शबाना आजमी के नाम से मशहूर है, और इस गांव में वह हर एक सुविधा धीरे-धीरे मुहैया हो रही है जो एक नगरीय क्षेत्र में होता है और शबाना आजमी के इस कार्य में जहां आला अधिकारियों सहित क्षेत्रीय लोगों का सहयोग रहता है तो वही उनके द्वारा संचालित कई कार्यक्रमों की कार्यशाला के लिए स्थानीय ग्रामीणों द्वारा भी निशुल्क जमीन मुहैया कराई गई है.

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हिंदुस्तान के नामी हस्ती !

हिंदुस्तान के नामी हस्ती के साथ आजमगढ़, फूलपुर क्षेत्र के मेज़वा गाँव के लोगों का सम्मान और पहचान जिंदा रहे इसके लिए हर स्तर पर जन सहयोग से प्रयास भी जारी है, लेकिन इन सब के बीच एक खबर शनिवार को लोगों के संज्ञान में आया जिसमें बताया जाता है कि कैफ़ी आजमी के पुत्र शबाना आजमी के भाई जो की फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए एक नामी शख्सियत है उन्होंने परिवार के सहयोग व सहमति से कैफी आज़मी की पैतृक संपत्ति में से कृषि योग्य भूमि को रियल एस्टेट कारोबारी के हाथों बेच दिया, खैर यह भी कहां जा सकता है कि जिसकी भूमि है वह उसे बेचे या रखें इससे किसी का कोई मतलब नहीं हो सकता लेकिन यह सवाल तब उठ जाता है जब इस गांव के लोगों द्वारा यह बताया जाता है कि कैफी आज़मी के नाम से संचालित कई कार्यशालाओं के लिए गांव के ही लोगों द्वारा अपनी-अपनी क़ीमती भूमि दान स्वरूप समर्पण की जाती है अब अगर शबाना आजमी व बाबा आज़मी द्वारा अपनी भूमि की ऊँची कीमत देखकर जमीन का विक्रय किया जाता है तो उन ग्रामीणों द्वारा प्रश्न चिन्ह उठाना भी उचित कहा जाएगा जो आज़मी परिवार के मान सम्मान के लिए अपनी भूमि उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए निशुल्क समर्पित करते रहे हैं, मेजवा गांव के ग्रामीणों द्वारा अपनी भी भूमि की क़ीमत अधिक बता कर यह नाराजगी जाहिर की जा रही है कि किसी के मान-सम्मान की कीमत हम लोग ही सिर्फ क्यों अदा करें, फिलहाल जमीन बिक्री का मामला कुछ भी हो लेकिन जिस गांव की मिट्टी की पहचान ही कैफी आज़मी के नाम से है उस मिट्टी जमीन का बिकना किसी को भी रास नहीं आ रहा।

 

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