किसान आंदोलन………
Phoolpur express
दिल्ली, अम्बाला। लोकसभा चुनाव की संभावित तारीखे नजदीक आने के साथ ही शुरू हुए फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य मांगों को नाम पर किसानों के आंदोलन इंटरनेट सेवाएं बाधित होने से छात्र-छात्राओं के परीक्षा पीरियड में हो रही परेशानियों को लेकर बुरा हाल है तो वही भारत सरकार हिंदुस्तान के व्यवस्थाओं का विदेशी मीडिया द्वारा मजाक उड़ते हुए भारतीय लोकतंत्र पर प्रश्न चिह्न भी लगाया जा रहा है साथ ही इस सबके लिए मोदी सरकार को सीधे-सीधे जिम्मेदार भी ठहराया जा रहा है जबकि इन विदेशी मीडिया के द्वारा अन्य पहलुओं की चर्चा किए बिना ही एक तरफा राय अखबारों वी सोशल साइट ऑन के माध्यम से रखी जा रही है। किसान आंदोलन के कारण पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में इंटरनेट बंदी को करीब दस दिन ज्यादा हो गए हैं,
ट्रैक्टर, जेसीबी मशीन, पोकलेन व मॉडिफाई ट्रैक्टर मॉडल, हैवी व्हीकल के साथ हजारों की संख्या में किसान हरियाणा-पंजाब के बीच शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से जमा हैं और दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं , जब कि हरियाणा सरकार, पुलिस द्वारा ड्रोन, आंशु गैस के दम पर इन्हें रोका जा रहा है,
वहीं 21 फरवरी को खनौरी बॉर्डर पर एक किसान की कथित गोलीबारी में मौत के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली कूच को दो दिन के लिए स्थगित कर दिया है.पंजाब और हरियाणा के बीच स्थित खनौरी बॉर्डर पर बुधवार को एक किसान की मौत होने की ख़बर आई है.किसान संगठनों के साथ – साथ एक सरकारी डॉक्टर की ओर से भी इस मौत की पुष्टि की गयी है।
हालांकि, हरियाणा पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी करते हुए कहा है कि ‘किसान आंदोलन में किसी भी किसान की मौत नहीं हुई है. यह मात्र एक अफवाह है.
किसानों की भीड़ और और किसान नेताओं के किसान आंदोलन ,संगठन पर कमजोर नेतृत व पकड़ को देखते हुए किसी अनहोनी की आशंका के बीच हरियाणा के सात ज़िलों में 23 फ़रवरी तक इंटरनेट पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया है. ये प्रतिबंध राज्य सरकार ने लगाया है. इसमें अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा शामिल है.सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध के अपने आदेश में कहा है कि तनावपूर्ण हालात को देखते हुए और शांति बनाए रखने के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई है.इससे पहले हरियाणा में 13, 15, 17 और 19 फ़रवरी को इंटरनेट प्रतिबंध को आगे बढ़ाया गया था.इसके अलावा केंद्र सरकार ने 16 फरवरी को एक आदेश जारी कर सात जिलों के 20 पुलिस थाना क्षेत्रों में इंटरनेट पर पाबंदी लगाई थी. यह पाबंदी पंजाब सरकार की तरफ से नहीं लगाई गई है।
सरकार ने कहा है कि ये क़दम अफ़वाहों को फैलने से रोकने और क़ानून व्यवस्था को क़ायम रखने के लिए उठाया गया है.केंद्र और राज्य सरकार ने ये यह आदेश भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 और दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम 2017 के नियम 2 के तहत जारी किया गया है.
किसान आंदोलन से जुड़े लोगों की सोशल मीडिया अकाउंट और वेब लिंक पर भी रोक लगाई
समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ ये गृह मंत्रालय के आदेश पर अस्थायी रूप से 177 सोशल मीडिया अकाउंट और वेब लिंक पर भी रोक लगाई है. रिपोर्ट के मुताबिक़ किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद ये अकाउंट फिर से चालू कर दिए जाएंगे।
वहीं कुछ फर्जी समाचार चैनल (यूट्यूब पर संचालित) वह विदेशी समाचार चैनल अखबारों के माध्यम से भारत सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं, फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर किसानों के नियम विरुद्ध दिल्ली में प्रोटेस्ट आंदोलन को मंजूरी दिए जाने की वकालत कर रहे हैं, जबकि राष्ट्रीय राजधानी किसान आंदोलन का काला अध्याय इसके पूर्व में देख चुका है जहां लाल किले पर उपद्रवियों द्वारा जमकर बवाल काटा गया था तो वहीं पूरे दिल्ली को बंधक बनाकर भी रखा गया था, सैकड़ो मोडिफाइड ट्रैक्टर हैवी व्हीकल जेसीबी पोकलेन आदि के साथ दिल्ली जाने के लिए किसानों को छूट देने की बात तक कर रहे हैं।
जबकि इस मामले में पंजाब हरियाणा की हाई कोर्ट ने पहले ही एक निर्देश दे रखा है लेकिन उसे निर्देश का पालन किसी स्तर पर होता दिखाई नहीं दे रहा। उल्टे किसान नेताओं द्वारा अपने बाद बोले फलों से आज में घी डालने का काम किया जा रहा है और किसान आंदोलन दोनों के दिन बड़ा होता जा रहा है और किसान आंदोलन में जहां अराजक तत्वों की संख्या भी जुड़ती जा रही है तो वही किसी भी अप्रिय घटना , स्थिति में किसान नेताओं द्वारा पल्ला झाड़ कर अपनी जिम्मेदारी से बचते हुए सारा दोस सरकार पर ही मढ दिया जाएगा।