आखिर कब सुधरेगी देश की शिक्षा व्यवस्था? राजनीतिक पार्टियों के उत्तर दायित्व पर बड़ा प्रश्न चिन्ह

शिक्षा पर सवाल….

बात उन दिनों की है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे लेकिन देश के जन मानस में एक बड़े नेता के रूप में उभर रहे थे और अप्रत्यक्ष रूप से वे खुद तैयारी कर रहे थे प्रधानमंत्री बनने की , उनके उभरती हुई लोकप्रियता को देखते हुए बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों को लगने लगा कि अगला प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ही होंगे ,मुझे भी उस वक्त ऐसा लगा कि शायद देश अब बदलाव की ओर जा रहा है।

मुझको भी उम्मीद थी एक नई किरण की आशा दिल में लिए मैं भी पूरे दिल से प्रधानमंत्री जी का स्वागत दिल से किय, सुकून की सांस लिया कि सभी पहलुओं के दृष्टिगत जहां हर क्षेत्र में सुधार की प्रबल संभावना बन रही थी वही शायद शिक्षा व्यवस्था भी आगे बढ़ने वाली है? लेकिन अभी तक शिक्षा को लेकर वह आत्मविश्वास हमारे मन में नहीं जगा जिसके हमने सपने देखे थे, हां यह हो सकता है
शायद वह दिन दूर नहीं जब शिक्षा का स्तर बढ़ेगा देश को और ज्यादा अनुभवी प्रशिक्षित काबिल और होनहार युवा शिक्षक से लेकर छात्र व अन्य कर्मचारियों के रूप में मिलेंगे ,शायद अब देश का विकास और तेजी से बढ़ेगा ?

और इस प्रफुल्लित होते मन विचार और सपने पर ग्रहण लगता तब दिखता है जब इस वैश्विक युग में नालंदा विश्वविद्यालय और गुरुकुल जैसी सभ्यता के संस्थापक देश भारत जैसे देश में शिक्षा प्रणाली इतनी महंगी है कि विद्यार्थियों के ज्यादातर माता पिता तो उसको अफोर्ड (शिक्षा की खरीद) भी नहीं कर सकते वह किस तरह अपने खून पसीने को एक करके अपनी कमाई के पैसों को इकट्ठे कर घर की अपने परिवार और छोटे बच्चों के पालन पोषण में व बच्चों के पढ़ाई में लगाते है वह कोई उनके दिल से पूछे, परंतु फिर भी देश में किसी भी सरकार को आज तक शिक्षा और स्वास्थ्य के ऊपर किसी भी सरकार का ध्यान नही गया जिसकी आज सक्त जरूरत है। आखिर इतनी महंगी शिक्षा को कैसे अफोर्ट करे किस प्रकार से सामंजस्य बैठा एक परिवार को पालने के साथ बेहतरीन शिक्षा भी मुहैया करा सकें? आज सरकारी नौकरियां ना के बराबर है न जाने कितने मध्यम वर्गीय परिवार अपने बच्चों को इंजीनियर, डॉक्टर , वकील आईएएस ,पीसीएस जैसे पोस्ट पर अपने बच्चों को देखना चाहते हैं उन परिवारों को यह उम्मीद कहीं ना कहीं यह रहता है कि उनके बच्चे बड़े होकर उनका सपना पूर्ण करेंगे बड़े-बड़े पोस्टों पर आसीन होंगे परंतु क्या ऐसा कुछ हो पता है ?

आंकड़े उठाकर देखा जाए तो प्रत्येक वर्ष ना जाने कितने ही बच्चे पैसों के अभाव के चलते स्कूल कॉलेज से ड्रॉप आउट कर जाते हैं । मुझे उम्मीद थी शायद बीजेपी सरकार मोदी सरकार रामायण महाभारत के सिलेबस के साथ साथ शिक्षा में सामान्यता पर भी सुधार लायेंगे शायद शिक्षा प्रणाली सस्ती होगी ? परंतु इस प्राइवेटाइजेशन के जमाने में यह मात्र दिव्या स्वप्न मात्र है मेरा मानना है शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन ही नहीं क्रांति की जरूरत है, क्योंकि मैं भारत के कई राज्यों में गई वहां के लोकल स्कूलों को देखा और देखने के बाद मुझे जो वहां अनुभव हुआ उसे देखकर मुझे बहुत दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि शिक्षा प्रणाली आज बहुत कमजोर है और बहुत ही निचले स्तर पर है । सहसा यह सब सोच कर मेरा दिल जो तकलीफ से भर आता है कि काश हमारी कोई सरकार तो ऐसी होती जो हमारे देश कि इस रीड को मजबूत बनाने पर कार्य करती काश भारत देश की शिक्षा प्रणाली सस्ती और टेक्नोलॉजी से उन्नत होती तो शायद कुछ वर्षों के उपरांत हम चीन जापान जैसे देशों के बराबरी कर पाते ? स्कूलों में कॉलेज में शिक्षा तो मिल रही है फिर भी शिक्षा में इतनी कमियां इतनी लापरवाही अगर दसवीं के छात्र से एक अंग्रेजी का एप्लीकेशन लिखवा दो तो वह लिख नहीं सकता अच्छे से बच्चे। बिना इस काबिल बन प्रत्येक वर्ष बच्चे कॉलेज तक आते हैं नतीजतन उनके अंदर कोई स्किल ना होने के कारण कोई बेहतर नौकरी वह नहीं हासिल कर पाते जिसका फायदा आज कोचिंग सेंटर्स उठा रही है। कोचिंग आज व्यापार बन चुका है, उनके कंपटीशन किया इस तरह की राजस्थान की कोटा शहर में कोचिंग व्यवस्था पर कई बच्चों ने अपनी जान देकर आत्महत्या करके सवालिया निशान लगा दिए हैं। प्राइवेट स्कूल आज एक व्यापार बन चुके हैं, यह पैसे कमाने के बस रिसोर्सेस है बच्चे आज रिसोर्सेस बनकर रह गए हैं। जिसकी मार से गरीब और मिडिल क्लास के परिवारों पर बोझ बढ़ता जा रहा है ,बच्चे निराशा हताश बस अपने असफलता को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और अंत में आत्महत्या जैसे कदम को उठाकर परिवार को कर्ज से मुक्त करने में गलत कदम उठा लेते हैं।

सिर्फ यह कह देने मात्र से कि देश का असली धन हमारे बच्चे हैं यह समस्या हल नहीं होगी सरकारों को कोई ना कोई ठोस कदम उठाना पड़ेगा और शिक्षा प्रणाली जैसे व्यवस्था को जो बहुत ही कमजोर है ,और जिसके मार प्रत्येक भारतीय और प्रत्येक मिडिल क्लास गरीब परिवार के बच्चे भुगत रहे हैं उसको सुधारने की आवश्यकता है सरकार को चाहिए कि वह सिर्फ वोट बैंक की तरफ से ध्यान ना दे वह हमारे फ्यूचर के बारे में भी सोचे क्योंकि बच्चे ही हमारे देश के फ्यूचर हैं। और उनको बेहतर एजुकेशन बेहतर मेडिकल हर चीज का खास खयाल रखना चाहिए क्योंकि बच्चे ही देश के भावी उम्मीदवार बनेंगे , आने वाले कल में हमारी शिक्षा पर बहुत कार्य करने की जरूरत है राज्य हो या केंद्र सभी सरकारों को इस बात पर भी ध्यान देना चहिए।
धन्यवाद

लेखक

साधना पांडे( पत्रकार) PEN की दिल्ली हेड हैं 

मोo +918585911042

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