नूंह हिंसा में स्थानीय नहीं बाहरी लोग शामिल थे? संगठित अपराध नहीं किया गया

 नूह। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने बृहस्पतिवार को कहा कि पिछले दिनों हरियाणा के नूंह और कुछ अन्य स्थानों पर हुई हिंसा कोई ‘संगठित अपराध’ की घटना नहीं थीं और इसे प्रशासन की विफलता भी नहीं कहा जा सकता, लेकिन उसके स्तर पर कुछ कमियां जरूर रहीं। आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा कि हिंसा में स्थानीय लोग शामिल नहीं थे और सोशल मीडिया के जरिये फैलाए गए दुष्प्रचार में कुछ नौजवान उत्तेजना के शिकार हो गए जिस पर समाज को ध्यान देने की जरूरत है। उनके मुताबिक, पिछले दिनों आयोग के एक दल ने हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर विभिन्न समुदायों के लोगों तथा प्रशासनिक अधिकारियों से बात की। गत 31 जुलाई को भीड़ द्वारा विश्व हिंदू परिषद की शोभायात्रा को रोकने के प्रयास के बाद हुई सांप्रदायिक झड़प में दो होमगार्ड कर्मी सहित छह लोगों की मौत हो गई थी और इसकी आंच गुरुग्राम तक फैल गई थी। “आयोग का दल नूंह और सोहना गया था। हमने दोनों समुदायों के लोगों और प्रशासन के अधिकारियों से बात की। लोगों का कहना है कि हिंसा करने वाले लोग बाहरी थे। स्थानीय मुसलमानों ने मंदिरों की रक्षा की तो हिंदुओं ने मस्जिदों की रक्षा की। यह सद्भाव वहां देखने को मिला था। रिपोर्ट में हिंसा के लिए सीधे-सीधे सोशल मीडिया के जरिए फैले हुए झूठी व मनगढ़ंत बातों को जिम्मेदार बताया गया साथ ही इसमें सरकार की असफलता न कहते हुए हां कुछ लापरवाही बताया गया।

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