शिकायत के बाद वाहन जब्त कर लिया गया था और उसके बाद, याचिकाकर्ता के खिलाफ गोवध अधिनियम की धारा 5-ए (7) के तहत कार्यवाही शुरू की गई थी।
हरदोई। के एक मामले में सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने कहा है कि गायों और बछड़ों को राज्य के अंदर ले जाना अपराध नहीं है। इसके लिए इस्तेमाल किया जाने वाला वाहन सीज या जब्त नहीं किया जा सकता। आदेश हरदोई के एक मामले में सुनवाई करते हुए दिया। इस मामले में हरदोई के जिला मजिस्ट्रेट ने 2022 के एक एफआईआर पर आदेश दिए थे कि गोवंश को ले जा रहे वाहन को सीज किया जाए। अदालत ने अपने आदेश के साथ ही हरदोई के जिला मजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया।
दरअसल, नवंबर 2022 में यूपी – गोवध अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी कि वे गोवंश अपने वाहन में ले जा रहे हैं। शिकायत के बाद वाहन जब्त कर लिया गया था और उसके बाद, याचिकाकर्ता के खिलाफ गोवध अधिनियम की धारा 5-ए (7) के तहत कार्यवाही शुरू की गई थी। साथ ही कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। आरोपी ने इस आरोप से इनकार करते हुए अपना जवाब प्रस्तुत किया था कि वाहन का इस्तेमाल गायों या गोवंश को ले जाने के लिए नहीं किया गया था और वाहन से कोई गोमांस बरामद नहीं हुआ था।
इस साल मार्च में, जिला मजिस्ट्रेट ने धारा 5-ए (7) के तहत वाहन को जब्त करने का आदेश पारित किया, जिसमें दावा किया गया कि वाहन गायों के अंतर-राज्य परिवहन में शामिल था। इसके खिलाफ आरोपी ने हाई कोर्ट का रुख किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि यूपी गोहत्या निवारण अधिनियम, 1955 के तहत राज्य के अंदर गायों को ले जाना अपराध नहीं और इसके लिए इस्तेमाल वाहन सीज नहीं होगा
गौरतलब हो कि गोहत्या अधिनियम की धारा 5-ए के तहत गाय को यूपी में ही एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए परमिट लेना होता है। ये परमिट यूपी के अंदर या बाहद गोवंश को ले जाने के लिए किसी अधिकारी से लिया जा सकता है।
