श्रेया के इंसाफ के लिए लड़ने को तैयार एडवोकेट –साधना पांडेय

आजमगढ़ : श्रेया की मौत का जिम्मेदार स्कूल प्रशासन है? आजमगढ़ की छात्रा श्रेया जो महज 17 साल की नाबालिग लड़की थी और आजमगढ़ के एक प्रतिष्ठित कहे जाने वाले प्राइवेट स्कूल में 11th क्लास की छात्रा थी. श्रेया की मौत सिर्फ आजमगढ़ ही नहीं यह सम्पूर्ण भारत देश का मुद्दा बन गया, देश की प्राईवेट स्कूल कालेजों में निर्धारित शिक्षा नियमावली पर यह विचारणीय मुद्दा हो गया है। आखिर कब तक प्राइवेट स्कूल अपनी मनमानी बच्चों के साथ करती रहेंगी? श्रेया भारत का भविष्य थी एक मेधावी छात्रा थी अगर वह जीवित होती तो एक दिन जरूर अपने पैरेंट्स और देश का नाम रोशन करती, अपने साथ एक मोबाइल रखने के कारण दोषी पाए जाने पर कई बार स्कूल की तरफ से मानसिक प्रताड़ना झेल चुकी श्रेया में शायद अब और प्रताड़ना झेलने की ताकत नहीं थी. परंतु स्कूल की प्रिंसिपल और टीचर ने एक मासूम बच्चे को मरने पर मजबूर किया? वह लोग श्रेया की मृत्यु की जिम्मेदार हैं? उनको इस तरह से ज़मानत मिल जाना और समर्थक लाबी से मौखिक क्लीन चिट मिल जाना सरासर प्रशासन की जांच की दिशा और कोर्ट में अपना पक्ष रखने में लापरवाही को दर्शाता है। मैं एडवकेट साधना पांडेय दिल्ली हाई कोर्ट से अगर मुझे श्रेया का केस मिला उनके पैरेंट्स कहते हैं तो इस केस को मैं लड़ने के लिए तयार हूं. मैं इस बच्ची को इंसाफ दिला कर रहूंगी। एक बच्चे वो जो  11th की विद्यार्थी के पास फोन होना इतना भी बड़ा गुनाह नहीं था. बच्ची को समझाया जा सकता था परंतु मर जाने को मजबूर कर देना, एक माइनर बच्चे को पूरे स्कूल के सामने बेइज्जत करना ये भी कानून की नजर में गुनाह है, श्रिया के गुनहगार इतनी आसानी से फ्री नही घूम सकते हैं उनको सजा मिलनी चाहिए। स्कूल की प्रिंसिपल और टीचर पर IPC  की धारा 499 के तहत बच्ची के सम्मान की छवि खराब करने उसके ऊपर टिप्पणी करने का और IPC की धारा 500 के तहत मानहानि का वा आत्म हत्या के लिए उकसाने पर IPC की धारा 306 के तहत इनके ऊपर कार्यवाही होनी चाहिए, अगर ये केश मेरे पास आता है पीड़ित पक्ष मेरे पास ये केश हैंड ओवर करता है तो इसमें लिप्त किसी भी व्यक्ति को सजा दिलवाए बिना मैं शांत नहीं रहूंगी फिर वो कोई भी क्यूं ना हो. पर दोषियों को सजा मिलेगी, प्राइवेट स्कूल की मनमानी इसतरह नही चलेगी।- एडवोकेट साधना पांडेय दिल्ली

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