श्रीरामजानकी मंदिर में मनी तुलसी जयंती
भजन, व्याख्यान और सम्मान समारोह का आयोजन
श्रावण सप्तमी पर संत तुलसीदास को किया गया याद
भक्ति और साहित्य के संगम में डूबे श्रोता
रिपोर्ट _ मनोज मोदनवाल / फूलपुर, आजमगढ़
फूलपुर, आजमगढ़: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की रात्रि को, नगर के श्रीरामजानकी (आचारीबाबा) मंदिर परिसर में संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में साहित्य और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रोफेसर प्रभुनाथ सिंह “मयंक” उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री अरविन्द कुमार जी द्वारा प्रस्तुत मधुर भजन “गाईये गणपति जग वंदन” से हुआ। इसके बाद, मुख्य अतिथि प्रोफेसर प्रभुनाथ सिंह “मयंक” का स्वागत भृगुनाथ जी ने चंदन लगाकर और रामसेवक सोनकर ने अंगवस्त्र भेंट करके किया।
मुख्य अतिथि ने बताया तुलसीदास के जीवन का सार प्रोफेसर प्रभुनाथ सिंह “मयंक” ने अपने संबोधन में कहा कि पत्नी रत्नावली के त्यागोपदेश (प्रेरणा) ने ही ‘रामबोला’ को गोस्वामी तुलसीदास बना दिया। उन्होंने बताया कि तुलसीदास जी ने समाज के उपहास और तत्कालीन मुगल शासक अकबर के दबाव व प्रलोभन की परवाह किए बिना ‘स्वान्तःसुखाय’ और लोककल्याण के लिए श्रीरामचरितमानस, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा और हनुमान बाहुक जैसे कालजयी ग्रंथों की रचना की। उन्होंने भक्तिमय जागृति लाने के लिए रामलीला मंचन और मल्लशालाओं की भी स्थापना कराई, जिनकी कीर्ति पताका आज भी हिन्दी साहित्य में फहरा रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. राजेन्द्र मुनि ने की और इसका कुशल संचालन श्री अरविन्द कुमार जी ने किया।
इस अवसर पर ऋषि तिवारी, हरिश्चंद्र बरनवाल, मंगरू अग्रहरि, शैलेंद्र प्रजापति, सुरेश मौर्य, राघवेन्द्र तिवारी, जितेन्द्र मिश्र, रामकृष्ण राय, सूर्यबली यादव, शिमला प्रजापति, चम्पा मौर्या, और बीना अनिल अग्रहरि सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी और भक्तगण उपस्थित रहे।
