निजामाबाद, आजमगढ़। एक तरफ जहां सरकार गोसेवा और गोवंश संरक्षण के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर आजमगढ़ के निजामाबाद तहसील क्षेत्र स्थित दुर्वासा गोशाला की जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोल रही है। यहां दर्जनों गोवंश भूख, प्यास और उचित देखभाल के अभाव में तड़प-तड़पकर दम तोड़ रहे हैं, और उनके शवों को खुले में फेंका जा रहा है।
यह गंभीर मामला तब सामने आया जब स्थानीय ग्रामीण बिट्टू सिंह उर्फ रविंद्र प्रताप सिंह ने गोशाला की दुर्दशा को उजागर किया। उन्होंने बताया कि गोशाला में गोवंशों के लिए न तो चारे की कोई समुचित व्यवस्था है और न ही पीने के पानी की। स्थिति इतनी भयावह है कि बीमार गायों का कोई इलाज तक नहीं किया जा रहा है।
गोशाला में बदइंतजामी और अमानवीयता:
- भूख-प्यास से मौत: गोवंशों को पर्याप्त चारा और पानी नहीं मिल रहा है, जिससे वे कंकाल जैसे दिखने लगे हैं और भूख से उनकी मौत हो रही है।
- इलाज का अभाव: बीमार गोवंशों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है, जिससे उनकी हालत और भी बिगड़ रही है।
- शवों का अपमानजनक निपटान: सबसे शर्मनाक और चिंताजनक बात यह है कि मरने वाली गायों के शवों को सम्मानपूर्वक दफनाने के बजाय खुले में फेंक दिया जा रहा है। इससे इलाके में बदबू फैल रही है और संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है।
- कागजों और हकीकत में अंतर: ग्रामीणों का आरोप है कि गोशाला का संचालन केवल कागजों पर ही शानदार दिखाया जा रहा है, जबकि वास्तविक स्थिति इसके बिल्कुल विपरीत और अत्यंत दयनीय है।
इस मामले पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए भगवा जन एकता सेवा संघ के आकाश सिंह ने कहा, “गाय को मां कहा जाता है, उसी को जब भूखा मार कर सड़क किनारे फेंक दिया जाए, तो ये केवल लापरवाही नहीं, बल्कि हमारे समाज की गिरती संवेदनशीलता का आईना है।”
ग्रामीण बिट्टू सिंह ने प्रशासन और पशुपालन विभाग से इस अमानवीय कृत्य की उच्च स्तरीय जांच कराने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि इन बेजुबान जानवरों को बचाया जा सके।
रिपोर्ट_विष्णुशर्मा
