



प्याज फिर निकाल सकता है ग्राहकों के आंसू लहसुन भी हुआ तीखा बढ़े भाव
नई दिल्ली। हिंदुस्तान के लगभग सभी शहरों में नवरात्रों के दिनों में भी प्याज के तेवर गरम थे लेकिन अब दशहरे के बीतने के बाद इसमें और तेज़ी देखी जा रही। वो भी उस समय जब बड़ी आबादी श्राद्ध और उसके बाद नवरात्रों में प्याज और लहसून खाने से परहेज करती रही हैं। आस्थावान नवरात्रों में सात्विक भोजन लेना पसंद करते हैं। क्योंकि, प्याज और लहसून को तामसिक प्रवृत्ति का माना जाता है। इसके बावजूद मंडी में प्याज की कीमत बढ़ी है। गाजीपुर सब्जी मंडी के पूर्व चेयरमैन एसपी गुप्ता ने बताया कि थोक में प्याज की कीमत 45 से 50 रुपये किलो चल रही है। रिटेल में प्याज 60 से 70 रुपये किलो मिल रही होगी। मार्केट में प्याज कम पड़ गया है। बैंगलुरू का प्याज दिल्ली नहीं पहुंच रहा है। वहां फसल खराब हुई है। अभी महाराष्ट्र के नासिक और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों से प्याज आ रही है। अगले महीने नवंबर से अलवर का प्याज दिल्ली आने लगेगा। नवरात्र के बाद फिर से प्याज की खपत बढ़ेगी। नवंबर में भी रेट गिरने के आसार नहीं हैं।
एसपी गुप्ता ने कहा कि अब तो अप्रैल तक महंगा प्याज ही उपभोक्ताओं को खरीदना होगा। नासिक की फसल अप्रैल में आती है। अभी दिल्ली की सभी मंडियों में प्याज की 70 से 80 गाड़ियां आ रही हैं। वहीं नव रात्रि में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड) की 15-20 गाड़ी आ रही थी, जिसका भाव 32 से 35 रुपये किलो तक रहता था मगर अब उनका भी रेट हाई हो गया , साथ ही इतना प्याज मांग के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। जिसके चलते आने वाले दिनों में प्याज की कीमतें अत्यधिक बढ़ सकती हैं यह भी कहा जा सकता है कि यह कोई आश्चर्य नहीं होगा कि जब प्याज महंगाई में तीन डिजिट को छू सकती हैं। और इसका असर अभी से दिखाना शुरू हो गया है क्योंकि नवरात्रा के समापन के बाद से ही नॉनवेज जैसे खानों में प्याज और लहसुन का प्रयोग अत्यधिक मात्रा में होने लगेगा। और लहसुन ने भी 200 से 250 रुपए प्रति किलो की दर से फुटकर बिक रहा और आने वाली चुनावी मौसम में भी इसका असर देखने को मिल सकता है क्योंकि कई बार प्याज ने कई राजनीतिक पार्टियों के गुणा गणित के स्वाद को बिगाड़ के रख दिया है।
