पौराणिक स्थल दुर्वासा में कार्तिक पूर्णिमा पर मेला स्नानार्थियों का जन सैलाब
फूलपुर एक्सप्रेस…..
फूलपुर, आजमगढ़। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली धाम दुर्वासा के संगम घाट पर तीन दिवसीय विशाल मेला लग चुका है। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नार्थी, श्रद्धालुजन भारी संख्या में मझुई – तमसा ( गंगा जी की उप नदी ) संगम पर पहुंच कर स्नान ध्यान और दान किया। संगम के किनारे भारी संख्या में बैठकर लोगों ने कथा पूजन हवन व मुंडन का कार्य भी कराया साथ ही बहुत से श्रद्धालुओं ने परिवार सहित कढ़ाई चढाकर अपनी श्रद्धा को भगवान शिव के पुत्र कहेजाने वाले दुर्वासा ऋषि के चरणों में समर्पित किया। गुरुवार के बटोर के साथ ही मेला में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी हो चुका था, हालांकि यह संख्या तीन दशक पूर्व हो रहे इस मेले में बटोर से एकदम लग रही।
हल्की ठंड और कोहरे की धुंध के चलते जहां आवा गमन भीड़
यातायात साधन की उपलब्धता के कारण लोग खासकर स्नान के दिन कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर ही पहुंचना शुरू हुए सुबह में हल्की ठंड और कोहरे की धुंध के चलते जहां आवा गमन भीड़ भाड़ में शिथिलता रही तो वहीं दोपहर तक कड़ी धूप मैं मेले में भारी भीड़ उम्र पड़ी, मेले में जहां एक तरफ मीना बाजार लगाकर महिलाओं के आवश्यकता के अनुसार वस्तुएं दुकानों पर सजी बिक रही थी, तो वही एक तरफ गृह उपयोगी वस्तुओं की दुकानों में भी भारी भीड़ देखी गई जिसमें जाता, ओखली, कढ़ाई, पोना, चिमटा, बर्तन खटिया, चौकी, कुर्सी, मेंज सहित प्रमुख रूप से कृषि उपयोगी वस्तुएं हाथा, जुवाट, खुरपी, कुदाल, फावड़ा आदि रहे तो वहीं खिलौने कपड़ों के साथ-साथ चाट, चाउमीन के साथ-साथ पारंपरिक तौर पर बिकने वाले गट्टा बताशे के साथ साथ खज़ला, चूटहिया जलेवी, मिठाई आदि की दुकानों पर भी भारी भीड़ देखी गई, मेले में लगे मनोरंजन के साधन खासकर झूला सर्कस और जादू, मौत का कुआं, ड्रैगन ट्रेन, पर भी भीड़ पहुंच कर मेले का आनंद ले रही थी मेले के आनंद में डूबे खास कर नौजवान युवक यूवतियां व बच्चे की भीड़ अधिक रही इसी भीड़ के बीच जेब कतरो और पॉकेट मारों की भी चांदी कट रही थी, क्षेत्र में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाले दुर्वासा ऋषि तपस्थली संगम घाट पर इस मेले का महत्व ऐतिहासिक है
दुर्वासा ऋषि भगवान शिव के पुत्र कहलाते हैं!
माना जाता है कि माता अनुसूया के तीन पुत्रों में चंद्रमा ऋषि दत्तात्रेय ( भगवान विष्णु व ब्रह्मा के अंश ) के साथ दुर्वासा ऋषि भगवान शिव के पुत्र कहलाते हैं। माना जाता है कि उनका जन्म भगवान शिव के क्रोध से हुआ था। इसी कारण से उनके स्वभाव में भी जन्म से ही क्रोध का ज्वालामुखी समाहित है। दुर्वासा ऋषि को छोटी-छोटी बातों पर क्रोध आ जाता, जिसे तीनों लोक के देवी देवता डरते थे, मा तपस्वी दुर्वासा ऋषि रामराज्य से लेकर महाभारत काल से अधिक समय तक पृथ्वी पर रहे, भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या और भगवान शिव की नगरी कांशी के मध्य खंडित शिवलिंग के पूजन के मंदिर और दुर्वासा ऋषि तप स्थल पर मेला निजामाबाद तहसील क्षेत्र फूलपुर कोतवाली क्षेत्र, अहरौला थाना क्षेत्र में आयोजित होता है.
मेला में सुरक्षा को लेकर प्रशासन अलर्ट…
मेले की व्यवस्था निजामाबाद फूलपुर और जिले के आलाधिकारियों के देखरेख और नेतृत्व में आयोजित होता है, हालांकि कुछ स्थानीय कमेटी भी मेले में पूर्ण रूप से सहयोग व व्यवस्था में लगी हुई हैं। निज़ामबाद उप जिलाधिकारी अतुल गुप्ता, फूलपुर जिला अधिकारी एस एन त्रिपाठी क्षेत्राधिकार अनिल कुमार, फूलपुर कोतवाली प्रभारी निरीक्षक शशि चंद चौधरी, साथी अन्य संबंधित थाना क्षेत्र के थाना अध्यक्ष महिला कांस्टेबल पुलिस के जवान व पीएसी के जवान सहित अग्नि समन दस्ता और खुफिया पुलिस के जवान मेले में लगे रहे.
मेले में आवा गमन के लिए भारी व निजी वाहनों को मेला क्षेत्र से 2 किलोमीटर दूरी पर रोका गया, साथ ही फूलपुर दुर्वासा मार्ग का निर्माण मेला के अवसर पर पूर्ण कर लिया गया. जिससे मेला में पहुंचने वाले स्नार्थियों मेलार्थियों ने राहत की सांस ली। मेले में लोग निजी वाहनों पैदल व सवारी वाहनों से पहुंच रहे थे, मेले के प्रथम दिवस दूर दराज के मेलार्थियों की भारी भीड़ रही, तो वहीं दूसरे व तीसरे दिवस में स्थानीय निवासियों की भीड़ मेले में विद्यार्थियों के रूप में पहुंचेगी।
पौराणिक स्थल दुर्वासा में कार्तिक पूर्णिमा पर मेले का… वीडियो