इसरायल कि चूक या किया गया विश्वास घात

इसरायल की सुरक्षा व्यवस्था, सेना और गुप्तचर व्यवस्था पूरी दुनिया में विख्यात हैं। इसके बावजूद वहां इतना बड़ा नुकसान हुआ। इसरायलके पास दुनियाका आधुनिकतम सुरक्षा, प्रतिरक्षा और विश्वविख्यात सूचनातंत्र है। फिर भी वह इस हमलेके सामने विफल होकर रह गया । बीस मिनटमें पांच हजार मिसाइल छोड़ने, और टैंकोसे दीवार तोड़कर इसरायलकी सीमामें जल, थल और ग्लाइडरसे एक साथ घुसनेकी तैयारी एक दिनमें नहीं हुई होगी। लम्बा समय लगा होगा, किन्तु इसरायलके सुरक्षा और गुप्तचर तंत्रको इसकी भनक तक नहीं लगी। इसरायल ही नहीं उसके मित्र देश अमेरिकातकको भी इस हमलेकी भनक तक नहीं हुई। ऐसा ही अमेरिकापर हमलेके समय हुआ था। रोज दुनिया बदल रही है। युद्ध बदल रहा है। युद्धका मैदान बदल रहा है। अल-कायदाके आतंकियोंने ११ सितंबर 2021 की सुबह चार अमेरिकी विमानोंको हाईजैक कर लिया था। इन सभीका मकसद विमानोंको अलग- अलग ऐतिहासिक स्थलोंपर क्रैश करानेका था। सबसे पहला क्रैश अमेरिकन एयरलाइन फ्लाइट 15 का हुआ था, जो कि न्यूयॉर्क शहरमें सुबह 8.46 बजे वर्ल्ड ट्रेड सेंटरके उत्तरी टावरसे टकराई थी। इसके 17मिनट बाद ही यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 बिल्डिंगके दक्षिणी टावरसे टकराई। हाई अलर्ट जारी होनेके बावजूद सुबह 9.37बजे अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 77वॉशिंगटन स्थित अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागनसे टकराई। चौथे हाईजैक हुए विमान यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 93 का लक्ष्य ह्वाइट हाउस या

भारतमें मुंबईपर आतंकी हमला हमने देखा हैं। दिल्लीमें संसद पर हुए हमले के घाव हम भूले नहीं हैं। आंतकियोंके खुराफाती दिमाग किस तरह घटनाका अंजाम दें, कुछ कहा नहीं जा सकता। इन सबके लिए सिर्फ मजबूत रक्षा तंत्र बनानेकी जरूरत है। पाकिस्तानके कुछ कट्टर मुल्ला धमकी रहे हैं कि वह इसरायलसे लड़ने के लिए हमासको परमाणु बम देंगे। दुनियाके देश आधुनिक युद्धास्त्र बनाने में लगे हैं। परमाणु बम, हाइड्रोजन बमके आगेके विनाशक बमपर काम चल रहा है। सुपर सोनिक मिजाइल बन रही हैं, किन्तु लगता है कि आधुनिक युद्ध इन सबसे अलग तरहके अस्त्र-शस्त्रोंके लड़ा जायगा । अलग तरहके युद्ध होंगे। लगता है कि आनेवाले युद्ध सीमापर नहीं, शहरोंमें लड़े जायंगे। घरोंमें लड़े जायंगे। गली- मुहल्लोंमें लड़े जायंगे। अभीसे हमें इसके लिए सोचना और तैयार होना होगा । 30 अक्तूबर 2021 को पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित पुणे डॉयलॉगमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभालने कहा कि भविष्यमें खतरनाक जैविक हथियार.

 

दुनिया के लिए गम्भीर परिणाम साबित हो सकता है। दुनियाके लिए किसी भी जानलेवा वायरसको हथियार बनाकर इस्तेमाल करना गम्भीर बात है। एनएसए डोभालने अपने बयानमें कोरोना वायरसका उदाहरण देते हुए जैविक हथियारोंका मुद्दा उठाया। आपदा एवं महामारीके युगमें राष्ट्रीय सुरक्षाकी तैयारियोंपर बोलते हुए अजीत डोभालने कहा कि आपदा और महामारीका खतरा किसी सीमाके अंदरतक सीमित नहीं रहता और उससे अकेले नहीं निबटा जा सकता। इससे होनेवाले नुकसानको घटाने की जरूरत है। अबतक पूरी दुनिया इस खतरेसे जूझ रही है कि परमाणु बम किसी आतंकवादी संघटनके हाथ न लग जाय। उनके हाथमें जानेसे इसे किस तरह रोका जाय । उधर आतंकवादी नये तरहके हथियार प्रयोग कर रहे हैं। आतंकवादी घटनाएं कैसे रोकी जायं, जैसी योजनाएं बन रही हैं। आंतकवादी इनमें से निकलने के रास्ते खोज रहे हैं। वे नये-नये हथियार बना रहे हैं। अमेरिकाके वर्ल्ड ट्रेड सेंटरपर हमलेसे पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि विमानको भी घातक हथियारके रूपमें प्रयोग किया जा सकता है। इसमें विमानोंको बमकी तरह इस्तेमाल किया गया। माचिसकी तिल्ली आग जलानेके लिए काम आती है। बिजनौरमें कुछ आंतकवादी इन माचिसकी तिल्लियोंका मसाला उतार कर उसे गैसके सिलेंडरमें भर कर बम बनाते विस्फोट हो जानेसे घायल हुए। हम विज्ञान और कम्यूटरकी ओर गये । हमारे युद्धास्त्र कम्यूटरीकृत हो रहे हैं। उधर शत्रु इस सिस्टमको हैक करनेके उपाय खोज रहा है। लैसर बम बन रहे हैं। हो सकता है। कि हैकर शस्त्रोंके सिस्टम हैक करके उनका प्रयोग मानवताके विनाशके लिए कर बैठे। बनानेवालोंके निर्देश छोड़से बने बनाये शस्त्र हैकरके इशारेपर चलने लगें ।

रोगोंके निदानके लिए वैज्ञानिक रोगोंके वायरसपर खोज रहे हैं। उनके टीके बना रहे हैं। दवा विकसित कर रहे हैं तो कुछ वैज्ञानिक इस वायरसको शस्त्रके रूपमें प्रयोग कर रहे हैं। साल 2663में ब्रिटिश सेनाने अमेरिकापर चेचकके वायरसका इस्तेमाल हथियारकी तरह किया । 1940 में जापानकी वायुसेनाने चीनके एक क्षेत्रमें बमके जरिये प्लेग फैलाया था । 1942 में जापानके दस हजार सैनिक अपने ही जैविक हथियारोंका शिकार हो गये थे। हालके दिनों में आतंकी गतिविधियोंके लिए जैविक हथियारके इस्तेमालकी बात सामने आयी है। इससे हमें सचेत रहना होगा । सीमाओंकी सुरक्षाके साथ इन जैविक शास्त्रोंसे निबटने के उपाय खोजने होंगे। इसरायल दूसरे विश्वयुद्धसे संघर्ष झेल रहा है। इसने प्रत्येक परिस्थितिके लिए अपने को तैयार किया हुआ है। ढाला हुआ है। इस तरहके हमलोंके लिए उसने प्रत्येक घरमें बंकर बनाये हुए हैं। वहांका लगभग प्रत्येक व्यक्ति एंव महिला युद्धके लिए हर समय तैयार रहते हैं। वहां सैन्य प्रशिक्षण आवश्यक है।

हमासके हमलेका सबसे बड़ा सबक यह है कि दुनियाका कोई भी देश इस तरहके हमले नहीं रोक सकता। बस इस तरहके हमलोंको रोकनेकी व्यवस्था कर सकता है। इसरायलका सुरक्षाचक्र आइरन डोम पांच हजार मिजाइलके हमलेके सामने कारगर नहीं रहा। हमारे पास रूसका बना एस-400 मिजाइलरोधी सिस्टम हैं। हमें सोचना होगा कि क्या यह इस तरहके भारी मिजाइल हमलोंको रोकनेमें सक्षम है। या कोई अन्य सिस्टम चाहिए। हमें राष्ट्रीय आपदा या इस प्रकारके आतंकी हमलेकी हालत में अपना सहायता तंत्र विकसित करना होगा। उन्हें सभी प्रकारके हमलों या राष्ट्रीय आपदाके समय जनताकी सुरक्षा, मदद, उपचार आदि देनेके लिए तैयार करना होगा।

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