संयुक्त कमांडर सम्मेलन: पीएम के सामने पेश होगा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का पराक्रम, एयर डिफेंस और रडार प्रणाली की क्षमताओं पर मंथन

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नई दिल्ली: भारतीय सशस्त्र बलों का शीर्ष स्तरीय चिंतन मंच, संयुक्त कमांडर सम्मेलन (CCC) 2025, इस साल 15 से 17 सितंबर तक कोलकाता में आयोजित होने जा रहा है. इस महत्वपूर्ण सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, जहां उन्हें हाल ही में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सेनाओं द्वारा दिखाए गए पराक्रम और नई रक्षा प्रणालियों की क्षमताओं पर एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी.

सम्मेलन का उद्देश्य और एजेंडा इस साल के सम्मेलन का विषय ‘सुधारों का वर्ष – भविष्य के लिए परिवर्तन’ रखा गया है. इसमें तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना – के प्रमुख और कमांडर शामिल होंगे. सम्मेलन में थिएटर कमांड्स के गठन, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, और भविष्य की युद्ध रणनीतियों पर गहन चर्चा होने की संभावना है.

ऑपरेशन सिंदूर में दिखा नई तकनीक का दम हाल ही में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने भारतीय सेनाओं की नई युद्ध क्षमता को प्रदर्शित किया है. यह ऑपरेशन अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था. इस सैन्य अभियान में, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित कई आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाया था.

इस ऑपरेशन की सफलता में भारत के अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम, जैसे कि S-400 मिसाइल प्रणाली, और उन्नत रडार प्रणालियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इन प्रणालियों ने दुश्मन के किसी भी हवाई प्रयास को विफल कर दिया. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री को इन प्रणालियों के प्रदर्शन और उनकी सटीकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी.

ISRO का सहयोग और भविष्य की चुनौतियाँ ऑपरेशन सिंदूर की सबसे खास बात यह रही कि इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भी महत्वपूर्ण सहयोग दिया. इसरो के 400 से अधिक वैज्ञानिकों और 10 से ज्यादा उपग्रहों ने दिन-रात काम करते हुए सेना को वास्तविक समय (रियल-टाइम) की जानकारी और संचार सहायता प्रदान की, जिससे यह ऑपरेशन सटीक और प्रभावी बन सका.

इस सम्मेलन में साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ड्रोन युद्ध जैसी भविष्य की चुनौतियों से निपटने की तैयारियों पर भी जोर दिया जाएगा. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान द्वारा किए गए साइबर हमलों और फेक न्यूज के प्रयासों ने सेना को यह महसूस कराया कि अब सिर्फ पारंपरिक युद्ध ही नहीं, बल्कि सूचना युद्ध के लिए भी तैयार रहना जरूरी है.

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