लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, वन नेशन वन इलेक्शन पर विपक्ष का सवाल….
फूलपुर एक्सप्रेस
नई दिल्ली। मोदी सरकार के कैबिनेट ने बुधवार को एक देश एक चुनाव (One Nation, One Election) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। अब इस नियम के अंतर्गत देश की 543 लोकसभा सीट और सभी राज्यों की कुल 4130 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की राह खुल गई। एक देश एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट ने यह मंजूरी दी है। हालांकि इस नियम को लेकर विपक्षी पार्टियों के तेवर तल्ख हो गए हैं
वहीं इससे एक दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश में वन नेशन वन इलेक्शन हर हाल में 2029 से पहले लागू होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से संबंधित केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ चुनावों के माध्यम से लोकतंत्र को मजबूत करने और संसाधनों के अधिक उत्पादक आवंटन के माध्यम से विकास को गति देने की दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है।
वही वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि एक समृद्ध लोकतंत्र के लिए राजनीतिक स्थिरता अत्यंत महत्वपूर्ण है, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के यशस्वी नेतृत्व में आज केंद्रीय कैबिनेट द्वारा One Nation, One Election प्रस्ताव को दी गई मंजूरी अभिनंदनीय है। देश में राजनीतिक स्थिरता, सतत विकास और समृद्ध लोकतंत्र की सुनिश्चितता में यह निर्णय ‘मील का पत्थर’ सिद्ध होगा। इस युगांतरकारी निर्णय के लिए उत्तर प्रदेश की जनता की ओर से आदरणीय प्रधानमंत्री जी का हृदय से आभार!
वहीं कांग्रेस पार्टी व मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि वह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का विरोध करती है और लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए आवश्यकता अनुसार चुनाव कराए जाने चाहिए। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि लोकतंत्र में एक राष्ट्र, एक चुनाव नहीं चल सकता, हम इसके पक्ष में नहीं हैं:
वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कई सवालों संग कहा है कि सरकार लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते। – अगर ‘वन नेशन, वन नेशन’ सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?
– भाजपा जब बीच में किसी राज्य की चयनित सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे?
– किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतज़ार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा?
– इसको लागू करने के लिए जो सांविधानिक संशोधन करने होंगे उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गयी है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है?
– कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य ज़रूरी संसाधन ही नहीं हैं, इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं।
– जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर ज़िले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे।
– चलते-चलते जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहाँ तो ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है। कहीं कमज़ोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन्स, टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है।
रिपोर्ट… साधना पाण्डेय