क्या फिर से नीतीश कुमार बनेंगे पलटू राम, इंडि गठबंधन की राह में कई रोड़े, सीट शेयरिंग बनी बड़ी चुनौती,

इंडिया गठबंधन पर छाए काले बादल….

दिल्ली। जैसा कि पहले ही यह कयास लगाए जा रहे थे की जनता दल यूनाइटेड में कुछ बड़ा फेरबदल होगा और शुक्रवार को दिल्ली में जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में यही हुआ लल्लन सिंह ने जहां अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया तो वहीं फिर से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सर्वसम्मति से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया, लेकिन इन सब घटनाओं के पीछे कई बड़े मैसेज छिपी है जहां लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल अंदर खाने से पूरी कोशिश करते हुए दिख रही है की उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया जाए तो वही नीतीश कुमार ने जिस सपने को बनते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सभी बिखरी हुई पार्टियों को एक धागे में फिरो कर जहां गठबंधन की माला बनाई थी और उसे गठबंधन की माला को प्रधानमंत्री पद के लिए सहयोगी दल की कुछ पार्टियों ने सीधे तौर पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिका अर्जुन खड़गे को नामित कर दिया इसके बाद नीतीश कुमार के सपने पर ग्रहण लग गया और नीतीश कुमार को एक बार फिर से खुद का आत्म अवलोकन करते हुए पुनः विचार की संभावनाएं प्रबल होने लगी हालांकि यह उनके मात्र मुख्यमंत्री रहने से ही संभव नहीं होता क्योंकि पार्टी हित के लिए फैसला लेना है तो उनको अध्यक्ष पद पर आना ही होता और अब वह आ भी गए और यह सीधे तौर पर सहयोगी इंडिया गठबंधन को और राज्य के सत्ता में सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल को सीधा संदेश है कि अब नीतीश कुमार झुकने वालों में से नहीं है हालांकि अंदर खाने से यह भी प्रयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारते हुए भाजपा से जा जुड़ेंगे और यह तब संभव है कि जब भाजपा के ही कुछ बड़े नेता यह कहते हुए मिल जाएंगे की राजनीति में कोई दुश्मन नहीं होता, जहां इस घटना क्रम से इंडिया गठबंधन पर काले बादल छाते दिख रहे हैं।

तो वही इंडिया गठबंधन के लिए सीट शेयरिंग एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है कोलकाता में ममता बनर्जी ने कहा कि बंगाल में वह भाजपा को टक्कर देने के लिए पूरी तरीके से सक्षम है यहां किसी प्रकार से किसी को कोई गठबंधन की आवश्यकता नहीं है हां या अलग है कि पूरे देश में या सिलसिला चलेगा अब उनके इस वक्तव्य से या साफ हो चुका है कि वह अपने प्रदेश के हिस्से में आने वाली सीट को किसी स्तर पर सहयोगी दलों में बांटना नहीं चाहती वाम दल में माकपा भी ने बंगाल में गठबन्धन का हिस्सा बनने से मना कर दिया, जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने फुल कॉन्फिडेंस में भी यही बात दोहराई है जबकि महाराष्ट्र की राजनीति में हुए उलट फेर और काफी बदलाव के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने जहां मजबूती से चुनाव लड़ने का फैसला किया है तो वही उद्धव ठाकरे गुट शिवसेना के प्रमुख नेता, प्रवक्ता संजय रावत ने भी ऐसा ही बयान दिया है उन्होंने सीधे तौर पर कहा है कि महाराष्ट्र में जिस भी सहयोगी पार्टी ने जितनी सीट जीती हैं उसे उसी आधार पर सीट का बंटवारा होगा लेकिन कांग्रेस ने महाराष्ट्र में कोई सीट नहीं जीती जिसके आधार पर कांग्रेस को अब शून्य से शुरुआत करनी पड़ेगी बड़े राज्यों में समर उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने कुछ बड़ा दिल दिखाने की कोशिश की है जिसमें उनके गठबंधन में पहले से ही शामिल दालों के साथ कांग्रेस को भी कुछ सीट देने की सहमति उन्होंने बनाई है, कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही इंडिया गठबंधन की तासीर गर्म होती दिख रही है लेकिन इस गर्म तासीर से स्वाद निकलेगा या एक विस्फोट होकर पूरा गठबंधन बिखर जाएगा यह साफ-साफ कोई बाता नहीं सकता क्योंकि कांग्रेस जहां सबके बड़े भाई के स्थान पर बना रहना चाहती है तो वही क्षेत्रीय दल कांग्रेस को लेकर कोई बड़ा दिल नहीं दिखा रहे और रियायत भी नहीं दे रहे और जब सभी क्षेत्रीय दल कांग्रेस को वह रियायत नहीं देंगे तो कांग्रेस की सीट आएगी कहां से और कांग्रेस अपने आप को बड़ा भाई दिखायेंगे कहां से और जब कांग्रेस को सेट नहीं मिलेगा तो वह अपना प्रधानमंत्री बनाएगी कहां से कुल मिलाकर राजनीति में कुछ भी संभव है लेकिन ऐसी संभावना भी दिखती है लेकिन इंडिया गठबंधन का भविष्य जहां एक कहावत पर हमेशा आकर रुक जाती है की , नौ दिन चले अढ़ाई कोस

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