कैदियों के जीवन सुधार के लिए उठाए जा रहे कई कदम…
फूलपुर एक्सप्रेस
प्रयागराज। केंद्रीय कारागार नैनी में बंद तमाम कैदियों,को जेल में ही शिक्षा दी जा रही है। इसमें कक्षा पांच से लेकर इंटर और बीए तक के कैदी शामिल है। पढ़ने की ललक महिला और पुरुष दोनों कैदियों में देखी जा रही है। इस कार्य में जेल प्रशासन के अलावा स्वयं सेवी संस्थाएं भी इनकी मदद कर रही हैं और समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं।
नैनी सेंट्रल जेल में हत्या लूट, डकैती, चोरी समेत अन्य संगीन अपराध में सजा काट रहे बंदी जेल में ही पढ़ाई-लिखाई शुरू कर दी है। ये बंदी पढ़-लिखकर समाज के लिए कुछ अलग करना चाहते हैं। इनका जेल से रिहा होने के बाद अपराध की राह छोड़कर नौकरी पेशा में जाने का लक्ष्य है। इनमें कई बंदी स्नातक तो कई परास्नातक की डिग्री लेने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) से पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें पुरुष और महिला बंदी दोनों शामिल है।
दरअसल, नैनी सेंट्रल जेल में बंदियों के रखने की क्षमता करीब दो हजार है। इस दौरान जेल में करीब 1700 बंदी है। जेल में आने वाले बंदियों को जेल प्रशासन देखता है कि बंदी कितना पढ़ा लिखा है। उस हिसाब से उसकी काउंसलिंग की जाती है। इनमें कई बंदी आगे पढ़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। डिग्री के हिसाब से इनका स्कूल या फिर विश्वविद्यालय में एडमिशन करवा दिया जाता है।इनमें 57 बंदी ऐसे हैं, जिन्होंने इग्नू में स्नातक और परास्नातक की डिग्री लेने के लिए फार्म भरा था। अब इनकी छह जून से परीक्षा शुरू हो गई है। दो पालियों में चल रही परीक्षा 13 जुलाई तक चलनी है। जेल की कड़ी निगरानी में परीक्षा करवाई जा रही है। बताया गया कि ऐसे कई महिला पुरुष बंदी भी है जो बीच में ही रिहा होने के बाद उनकी पढ़ाई छूट गई है।
सूत्रों ने बताया कि…बंदियों के विश्वविद्यालय में प्रवेश के बाद इनको मुफ्त में प्रबंधन की तरफ से पुस्तकें मुहैया करवाई जाती हैं। इसके बाद यह दिन-रात पढ़ाई करते हैं। इन बंदियों के पास न तो इंटरनेट और ना ही पढ़ाई के लिए कोई ऑनलाइन सुविधा रहती है। सिर्फ ऑफलाइन ही जेल की चार दिवारी के बीच पढ़ाई करते हैं। इनके पढ़ाई के लिए पुस्तकें विश्वविद्यालय देता है और परीक्षा नैनी सेंट्रल जेल में होती है। नैनी सेंट्रल जेल में इस दौरान 100 से ज्यादा ऐसे बंदी है, जो पांचवीं से आठवीं में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके लिए बाकायदा जेल की पांच में से चार सर्किल में क्लास चलती है। इसमें भी पुरुष बंदी के साथ-साथ महिला बंदी भी शामिल हैं। यहां पर बंदियों को नैतिक शिक्षा प्रदान की जाती है। ताकि वे अच्छे नागरिक बन सकें।
जुलाई-अगस्त से शुरू होगा दसवीं-बारहवीं का आवेदन दसवीं-बारहवीं में पढ़ाई के लिए जुलाई-अगस्त में इच्छुक बंदियों से आवेदन करवाया जाएगा। बताया गया कि इन कक्षाओं के लिए नैनी,फतेहपुर, चित्रकूट, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, हमीरपुर, बांदा समेत अन्य जगहों की जेल में अगर कोई आवेदन करता है तो उसकी परीक्षा जिला बांदा जेल में करवाई जाती है। यानी यहां के जेलों में बंद अगर कोई बंदी दसवीं-बारहवीं की परीक्षा देने चाहता है तो उसे बांदा के जेल में ही परीक्षा देना पड़ेगा।दूसरी तरफ, नैनी सेंट्रल जेल में शिव नाडर फाउंडेशन की तरफ से भी बंदियों को साक्षर करने की एक मुहीम चलाई जा रही है। अबतक चले 24-25 के दो बैच में बंदियों को साक्षर प्रमाणपत्र दे दिया गया है। जबकि 25 बंदियों के एक बैच की पढ़ाई चल रही है। कंप्यूटर और प्रोजेक्टर से 45 दिनों के कोर्स को पूरा करने के लिए प्रत्येक सोमवार से शनिवार रोजाना दो घंटे क्लास चलती है। इनमें 18 से लेकर 80 वर्ष उम्र के बंदी शामिल है। कुल तीन बैच में 74 महिला पुरुष बंदी को चिन्हित किया गया है।
रिपोर्ट… ब्यूरो कार्यालय, प्रयागराज