समर्थको में मायूसी….
फूलपुर एक्सप्रेस
लखनऊ। गोरखपुर से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी काजल निषाद को हार्ट अटैक आया है. काजल निषाद को लखनऊ के लिए रेफर किया गया है. उन्हें लखनऊ के मेदांता में एडमिट किया जाएगा. लोकसभा चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद से ही सपा प्रत्याशी काजल निषाद चुनाव-प्रचार में जुटी हुई हैं. इसी बीच चुनाव प्रचार के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ थी और वे बेहोश हो गईं थीं।
काजल निषाद के पति संजय निषाद ने पत्रकारों को बताया कि भीषण गर्मी और चढ़ते पारे के बीच चुनाव प्रचार करते समय काजल को चक्कर आ गया और वह बेहोश हो गईं. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें प्राथमिक उपचार दिया और उनके डिहाइड्रेशन और हाई बीपी का शिकार होने का अंदेशा जताते हुए उन्हें भर्ती कर लिया. डॉक्टर की टीम ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।
लेकिन रविवार को काजल निषाद की तबीयत फिर बिगड़ने लगी। उन्होंने डॉक्टरों से सीने में दर्द की शिकायत की। इसके बाद काजल की ईसीजी (ECG) जांच कराई गई। रिपोर्ट में दिल के रिदम में बदलाव मिला। इलाज कर रहे डॉक्टरों की टीम में शामिल डॉ. यासिर अफजाल ने बताया कि रिपोर्ट से पता चला कि दिल का दौरा पड़ा है। इसे मायो कार्डियक इंफेक्शन (एमआई) कहते हैं।
इसके बाद एहतियातन हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टरों ने काजल निषाद को लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल रेफर कर दिया। काजल निषाद की तबीयत खराब की सूचना मिलते ही पार्टी कार्यकर्ता अस्पताल पहुंचने लगे। देर रात एम्बुलेंस से काजल के परिवारीजन उन्हें लेकर लखनऊ पहुंचे जहां मेदांता हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया गया है। 41 वर्षीय काजल निषाद राजनीति में आने से पहले अभिनेत्री रही हैं। उन्होंने लापतागंज सहित कई धारावाहिकों में काम किया है, अभी वह शोसल मिडिया पर काफ़ी सक्रिय रही हैं, उनके हजारों में प्रसंसक हैं ।
इस बीच काजल की तबीयत बिगढ़ने की सूचना मिलने पर अस्पताल में उन्हें देखने वालों की भीड़ बढ़ती जा रही है. अस्पताल में आने वाले नेताओं को काजल निषाद के पति संजय निषाद पत्नी का हाल बता रहे हैं. लेकिन, तबीयत खराब होने की वजह से काजल बिस्तर पर हैं और अधिकतर समय आराम कर रही हैं. फिलहाल काजल निषाद की हालत स्थित है. डॉक्टर की टीम ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है, वही गोरखपुर के सपा व उनके समर्थक काफ़ी मायूस नज़र आ रहे, क्यों कि काज़ल के प्रचार के दौरान लोगों कि काफ़ी भीड़ नज़र आ जाती थी जो अब प्रचार के दौरान संभव नहीं है।