श्रीराम जन्मभूमि के 33 साल के पुराने इतिहास में भी फूलपुर का अहम योगदान रहा, यहां से होकर पैदल अयोध्या गए कोठारी बंधु

कारसेवा की यादें……

फूलपुर, आजमगढ़। कारसेवा आंदोलन से लेकर विवादित ढांचा विध्वंस और प्राण प्रतिष्ठा में भी अपनी भक्ति भाव, उत्साह समर्पण और सेवा के साथ खुशियां मना रहा आजमगढ़ जिले का फूलपुर कस्बा व क्षेत्र राममय हो चुका है और इसको लेकर जहां क्षेत्र में विभिन्न मंदिरों और स्थानो पर 22 जनवरी को पूजन अर्चन, रामायण पाठ सहित भंडारा भोज का विविध कार्यक्रम रखा गया है तो वही आज जिस घड़ी का साक्षी पूरा विश्व बन रहा है उस घड़ी के पहले ।

शहीद कोठारी बंधु 

33 साल के पुराने इतिहास में भी फूलपुर का अहम योगदान रहा है और यह योगदान तब वर्णित करना आवश्यक हो जाता है कि जब आपको यह पता चलेगा कि कारसेवा में जहां सैकड़ो राम भक्तों ने अपने आप को बलिदान किया तो वहीं उस पंक्ति में सबसे ऊपर स्थान बनाए हुए कोलकाता के कोठारी बंधु जो फूलपुर की धरती से होकर अयोध्या पैदल ही गए थे लगभग 200 से किलोमीटर से अधिक का उन्होंने जहां पैदल यात्रा किया तो वहीं कोलकाता से बनारस और बनारस के बाद फूलपुर , अयोध्या की यात्रा में भी उन्होंने बहुत पैदल यात्रा की। उस समय फूलपुर के लोगों को पता चला कि कुछ कारसेवक कोलकाता से भी पैदल ही फूलपुर की तरफ आ रहे हैं और उन्हें साकुशल अयोध्या की तरफ कूच करवाना ही फूलपुर के कुछ विशेष लोगों का दायित्व है, जिसके अंतर्गत यह

विवादित ढांचा पर चढ़े कारसेवक 

सूचना फूलपुर के व्यापारी महादेव जायसवाल,रामानंद बरनवाल, बेचन पांडे अतुल जायसवाल, डॉक्टर सुधाकर पांडे आदि को लगी , इसके बाद रात के अंधेरे में पैदल आ रहे कारसेवकों जिसमें दोनों कोठारी बंधु राम जी व शरद कोठारी जी भी थे जगदीशपुर के पास रामसागर मौर्य वह अन्य लोगों ने रात के समय अपने घर में बिठा और उन्हें जलपान कराया और उनके ठंड, स्वस्थ को देखते हुए रुकने को कहा लेकिन कोठारी बंधु, कारसेवक कहीं भी दो से तीन या चार मिनट से ज्यादा नहीं रुक रहे थे और वह हर 5 से 10 मिनट के अंतराल में स्थान को परिवर्तित कर रहे थे , उन्होंने रुकने और आराम करने से साफ मना कर दिया जिसके चलते वह वहां से चले और आलोक (लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल कारखाना)के व महादेव जयसवाल के मकान पहुंचे जहां उनके पैर में मोटे छाले पड़े हुए थे शर्द हो रही रात में उनके पैर को गर्म पानी से सेका गया, फिर सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल और रात्रि करीब तीन से 4:00 बजे के बीच उन्हें श्री राम सागर मौर्य द्वारा राजदूत मोटरसाइकिल से जलालपुर सीमा पर गांव की पगदांडी व नदियों के बीच से होते हुए छोड़ गया, जिसके बाद वह घनी अंधेरी रात के बीच पैदल ही झाड़ियां से होते हुए आगे को बढ़े, वहीं अन्य आ रहे कारसेवकों को भी फूलपुर के लोगों ने स्थान दिया।

कारसेवा में समर्पित रहे लोगों की फोटो

इसी बीच डा सुधाकर पांडे के घर (क्लिनिक) पर ढहरे कारसेवकों के लिए खाना मुहैया करा रहे दो लोगों को पुलिस ने पकड़ा भी इसके बाद स्थानीय लोगों ने मरीज का हवाला देते हुए डॉक्टर सुधाकर के सहयोग से कारसेवकों को सुरक्षित भी किया व खाना पहुंचाने के दौरान गिरफ्तार हुए लोगों को छुड़वाया भी, कुछ अन्य धर्म के लोगों खुफिया विभाग, सरकार समर्थकों व पुलिस के कड़े पहरे व घेरा बंदी के बीच बाहर से आए कारसेवकों को स्थानीय पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई , वहीं फूलपुर निवासी कारसेवक समर्थको के अनुसार राम जन्मभूमि आंदोलन की जब शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी इस बीच गोली कांड से पूर्व ही कारसेवा के लिए यहां से जाने के लिए लामबंद हो रहे लोगों की खुफिया जानकारी स्थानी प्रशासन को भी हुई इसके बाद लगभग 60 से 65 की संख्या में अयोध्या की तरफ कूच करने के लिए तैयार हो रहे कारसेवकों को स्थानिय कोतवाली पुलिस ने पड़कर थाने पर बंद किया साथ ही उन्हें लेकर रानी की सराय थाना पहुंची जहां कारसेवकों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर ले जाने की सूचना पर वहां रानी सराय बाजार के लोगों ने कारसेवकों को खाना , पानी भी कराया साथ ही वहां भी जय श्री राम के जय घोष किए गए, फिर पुलिस वहां पर किसी भी शंका, आशंका के बीच सभी कारसेवकों को लेकर आजमगढ़ के बेलैसा सब्जी मंडी पहुंची जहां पर सब्जी मंडी के अंदर उन्हें बंद कर रखा गया इसके बाद वहां भी यह सूचना पहुंची कि फूलपुर से कारसेवक गिरफ्तार हो जिले पर आ रहे हैं और वह सब्जी मंडी पर कैद रखे गए हैं जिसके बाद ईद गिर्द गांव और शहर के कुछ लोग कारसेवकों के भोजन पानी की व्यवस्था के लिए वहां पहुंचे फिर इसके बाद भी पुलिस के हाथ पांव फूलने लगे भीड़ की संख्या बढ़ती जा रही थी इसके बाद कारसेवकों को पुलिस लेकर सीधे अदालती कार्रवाई का कोरमा कारसेवकों के अदालत या जज के समक्ष अनुपस्थिति के बाद भी पूरा किया और कारसेवकों को लेकर सीधे जिला जेल पहुंची जहां उन्हें लगभग 19 से 20 दिन के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया गया और इसी बीच अयोध्या में भी कारसेवकों का रेला किसी न किसी रास्ते से पहुंचने में कामयाब हो रहा था जिसमें फूलपुर के भी बहुत से लोग सफल हुए, जिसमें फूलपुर निवासी गजानन पाटिल पुत्र नाना पाटील उर्फ मुन्नालाल बांबे, सुरेश मौर्या आदि लोग थे उन्होंने बताया कि हम लोग बचते बचाते किसी तरह अयोध्या की तरफ कूच कर रहे थे इसी बीच शाहगंज में हमें एक ट्रेन मिली जिसमें बिना टिकट ही हम लोग चढ़ गए और संभवत उसे पूरी बोगी में उसे वक्त इन्हीं कर सेवकों के अतिरिक्त कोई अन्य नहीं था, ढांचा विध्वंस के बाद ढांचा के ईंट,पत्थर भी हम लोग साथ में लाएं हुए थे, वही अयोध्या गोली कांड के बाद उबल रहे हिंदू समाज के भावनाओं के बीच 1990 के वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के खिलाफ फूलपुर बाजार में भी आए दिन नारेबाजी वह पुतला दहन का कार्यक्रम भी होता रहा।

कारसेवा की कहानी कारसेवकों की जुबानी 

जिसमें बड़े तो बड़े छोटे बच्चों द्वारा भी पुतला बनाकर मुख्य मंत्री मुलायम सिंह नाम लिखकर बस स्टॉप आदि स्थानों पर जलाया जाता रहा हालांकि इसके लिए कई बार लोगों को पुलिस के कोप विभाजन का शिकार भी होना पड़ा था लेकिन सत्ता के विरुद्ध जनभावना प्रबल होती जा रही थी। फूलपुर में कारसेवा कार्य से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सैकड़ो लोग जुड़े रहे लेकिन इसमें कुछ प्रमुख नाम भी शामिल रहे जिसमें, रामानंद बरनवाल, पूर्व अध्यक्ष हरिलाल प्रजापति, दत्ताराम सेठ,जगत किशोर आर्य, रामप्रसाद जायसवाल, शिव प्रसाद जायसवाल पुजारी, प्यारेलाल मौर्य सुभाष मौर्य विंध्याचल हवाई, प्रहलाद आर्य, बेचन पांडे ,चिरंजीवी लाल जायसवाल, सुरेश हलवाई सहित आदि लोग थे।

रिपोर्ट,….. मनोज गुप्ता, चन्दन गुप्ता 

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