सांसद मद से छत्रो के पढ़ाई, स्वास्थ्य के लिए आये लाखों रुपये के चालित नया समान; प्रधानाध्यापक एवं उनके परिजन ने रातों-रात कबाड़ में बेच

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रिपोर्मोट – मोहम्मद रहमतुल्लाह

सुपौल : एक तरफ सरकार शिक्षा विभाग में स्कूली बच्चे के पढ़ाई से स्वास्थ्य के लिए ,बच्चे के विद्यालय में खेलने के लिए तरह- तरह के कीमती सामान मुहैया करवाती है।ताकि बच्चे को पढ़ाई के साथ साथ स्वास्थ्य एवं मनोरंजन हो ताकि शारिरीक मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहे । जिसमें व्यायाम, खेल के ,वैट केयर आदि मोटर चालित कई तरह के लाखों – लाख रुपये के सामान मुहैया करवाती है।इसके लिए स्थानीय सांसद एवं विधायक के क्षेत्र विकास मद से भी राशि मुहैया करवाई जाती है। दूसरी तरफ विद्यालय के प्रधान एवं उनके भाई मिलकर विभागीय मिलीभगत से ऐसे लाखों – लाख रुपये के नए सामान जो कभी भी बच्चे ना व्यवहार किया हो और ना ही कभी उसे देखा है। को विद्यालय के प्रधान एवं उनके भाई द्वारा विद्यालय के ऑफ टाइम में रातों-रात तक इन छह लाख के नए सामान को कबाड़ी के हाथ बेच दिया जाता है। जिसे लोग देखने के बाद हदप्रभ हो जाते हैं और चर्चाएं करते थकते नहीं कि सरकार इतनी कीमती सामान भी बच्चे के सवास्थ्य ,खेल एवं मनोरंजन के लिए विद्यालय में दिए थे।

ताजा मामला सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड के मध्य विद्यालय पिपरा बाजार की है। जहाँ पूर्व सांसद माननीय विश्वमोहन कुमार के स्थानीय सांसद क्षेत्र विकास मद से 6,000,00(छह लाख) रुपये का खेल -कूद ,व्यायाम,वेट केयर कम्प्यूटर एवं अन्य बिजली चालित संयंत्र दिया गया था। शनिवार की देर शाम तक विद्यालय के प्रधानाध्यापक शोभाकांत झा उनके भाई द्वारा लाखों- लाख( छह लाख) रुपये के जिम (व्यायाम) के सामान खेल का झूला, वेटकेयर ,(बच्चे का वजन मापने वाला) कई तरह के बिजली चालित यंत्र बिल्कुल नया सामान जिसका प्लास्टिक कवर भी नहीं हटा था। जिसे इस विद्यालय के छात्र कभी देखा भी नहीं था, उपयोग करने की बात तो दूर रही उसे वरीय पदाधिकारी की मिली भगत से विद्यालय के प्रधान एवं उनके परिजन द्वारा कबाड़ी में बेच दिया जाता है । जब इन सामानों को बेचते हुए लोगों ने देखा तो देखने के लिए काफी भीड़ इकट्ठा हो गयी ।ग्रामीणों के पूछे जाने पर सिर्फ एक ही बात हेडमास्टर कहते नजर आए कि मुझे ऊपर से बेचने का आदेश है। लेकिन ना ग्रामीणों को और ना ही मीडियाकर्मी को कोई आदेश दिखाया गया ।

क्या है नियम ?

जब विद्यालय की परिसम्पत्तियों को बेचा जाना है तो , विद्यालय शिक्षा समिति की बैठक में उसे पारित करवाना होता है। फिर उसे स्वीकृति के लिए वरीय पदाधिकारी के पास भेजा जाता है तदुपरांत उसका दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित किया जाता है। तब जाकर उसमें सबसे अधिक बोली लगाने वाले(अधिक-से-अधिक कीमत लगाने वाले व्यक्ति) को बेचा जाता है।
यहां सारे नियम कायदे को ताक पर रखते हुए जिला शिक्षा पदाधिकारी के मिलीभगत से नए सामान को कबाड़ी के हाथ बेच दिया गया ।

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