बिहार : अब मानसून का द्रोणी रेखा श्रीगंगासागर , रोहतक , लखनऊ से होते हुए राज्य के गया जिले से गुजर रही है। जिसके प्रभाव से राज्य में बंगाल की खाड़ी से आद्रता का प्रभाव बढ़ गया है। जिसके कारण राज्य में अगले पांच दिनों के दौरान वर्षा की गतिविधि में अचानक वृद्धि होने का पूर्वानुमान लगाया जा रहा है। स्थानीय अगवानपुर स्थित मंडन भारती कृषि अनुसंधान केंद्र के मौसम वैज्ञानिक अशोक पंडित ने बताया कि सिनोप्टिक विश्लेषण के अनुसार गंगिया पश्चिम बंगाल और उससे सटे उत्तरी ओडिशा पर बने चक्रवाती परिसंचरन के प्रभाव से उत्तरी ओडिशा और उसके सटे पश्चिम बंगाल के तटों पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। साथ ही मानसून द्रोणी रेखा से रोहतक , लखनऊ होते हुए गया जिले से गुजर रही है। इनके संयुक्त प्रभाव से राज्य में बंगाल की खाड़ी से आद्रता का प्रभाव अचानक बढ़ गया है। ऐसे में अगले पांच दिनों के दौरान राज्य के कई जिलों में जहां भारी वर्षा होने का पूर्वानुमान दिख रहा है। वहीं सहरसा सहित कुछ जिलों में मेघ गर्जन और वज्रपात होने की भी संभावना दिख रही है।
क्या पड़ेंगे प्रभाव –
ऐसे में अचानक इस मौसम के कारण कई प्रभाव पड़ सकते हैं। जैसे नदियों के जलस्तर में वृद्धि हो सकती है। भारी बारिश के दौरान दृश्यता में कमी आ सकती है। वज्रपात से जान-माल और पशु की हानि हो सकती है। शहरों के निचले हिस्सों में जलजमाव हो सकता है। आंधी , वज्रपात , ओलावृष्टि से खरी फसल और फलदार वृक्ष को नुकसान हो सकता है। साथ ही झुग्गी-झोपड़ी और कच्चे मकान को भी नुकसान हो सकता है।
क्या बरतें सावधानी –
उन्होंने बताया कि वर्षा के समय नदियों में नहाने , तैरने और नाव परिचालन से बचना चाहिए। बिजली चमकने या गरगराहट की आवाज सुनाई देने पर पक्के घर में शरण लेना चाहिए। पेड़ों के नीचे विशेष रूप से अलग-थलग पड़े पेड़ों के नीचे कभी नहीं रुकना चाहिए। यह बिजली के सुचालक हो जाते हैं। खराब मौसम के दौरान कृषि कार्य को बंद कर देनी चाहिए। मौसम साफ होने पर ही कृषि का कार्य करना चाहिए
बिहार वरिष्ठ पत्रकार चेतन सिंह
