छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते

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सहरसा। (रिपोर्ट– चेतन सिंह) सहरस प्रखंड क्षेत्र में नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का शुक्रवार को दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया. छठ व्रत के चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस व्रत के पारण का विधान है।चार दिनों तक चलने वाले इस कठिन तप और व्रत के माध्यम से हर साधक अपने घर-परिवार और विशेष रूप से अपनी संतान की मंगलकामना करतें है.

तमाम हिस्सों में मनाया जाने वाला छठ पर्व छठी मैया और प्रत्यक्ष देवता भगवान भास्कर की विशेष पूजा के लिए किया जाता है।भगवान भास्कर की महिमा तमाम पुराणों में बताई गई है।भगवान सूर्य एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना भगवान राम और श्रीकृष्ण के पुत्र सांब तक ने की थी. सनातन परंपरा से जुड़े धार्मिक ग्रंथों में उगते हुए सूर्य देव की पूजा को अत्यंत ही शुभ और शीघ्र ही फलदायी बताया गया है,लेकिन छठ महापर्व पर की जाने वाली सूर्यदेव की पूजा एवं अर्घ्य का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि छठ व्रत की पूजा से साधक के जीवन से जुड़े सभी कष्ट पलक झपकते दूर हो जाते हैं और उसे मनचाहा वरदान प्राप्त होता है। गुरुवार के शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया तो वहीं शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही अपना ब्रत निस्तार किया। हरजगह शांति व्यवस्था को लेकर के पस्तपार थाना एवं पतरघट थाना पुलिस के द्वारा सभी छठ घाटों का निरीक्षण किया जा रहे थे।

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